उदयपुर : 29 जनवरी, 2025. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तिलहन पर फ्रंटलाइन डेमोंस्ट्रेशन के तहत एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम का उद्देश्य फसल विविधीकरण में तिलहन फसलों को शामिल करने को प्रोत्साहित करते हुए किसानों की आय और कृषि स्थिरता को बढ़ाना था.
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में परियोजना प्रभारी डा. हरि सिंह ने तिलहन फसलों के महत्व, कृषि प्रणाली में विविधता लाने और किसानों की आय बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया.
डा. जगदीश चौधरी, आर्चाय (कृषि विज्ञान) ने तिलहन आधारित खेती प्रणालियों के माध्यम से स्थायी कृषि विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने तिलहन आधारित फसल प्रणाली अपनाने के लाभों पर चर्चा की, जिस में मृदा स्वास्थ्य सुधार, संसाधनों का कुशल उपयोग और आर्थिक संवर्धन शामिल हैं.
डा. एचएल बैरवा, आर्चाय (उद्यानिकी) ने पर्यावरण अनुकूल और लाभकारी विविधीकृत उद्यानिकी में तिलहन विषय पर चर्चा की. उन्होंने किसानों को तिलहन फसलों को उद्यानिकी फसलों के साथ एकीकृत करने के आर्थिक और पारिस्थितिक लाभों के बारे में बताया. वहीं डा. बीजी छिप्पा, सहआर्चाय (उद्यानिकी) ने तिलहन और उद्यानिकी फसलों के संयोजन से होने वाले लाभों और तकनीकी पहलुओं पर गहराई से चर्चा की.
सहायक आर्चाय डा. दीपक ने तिलहन फसलों में सूत्रकृमि (नेमाटोड) प्रबंधन पर व्याख्यान दिया. उन्होंने किसानों को तिलहन फसलों में होने वाले सूत्रकृमियों की पहचान, उन के प्रभाव और प्रभावी प्रबंधन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी.
अंत में डा. हरि सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजन टीम को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को तिलहन आधारित खेती प्रणालियों को अपनाने की दिशा में प्रेरित करने और उन की आय बढ़ाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने में सफल रहा.
इस कार्यक्रम में झाड़ोल और फलासिया से कुल 30 किसानों ने भाग लिया और प्रशिक्षण को अत्यंत लाभप्रद बताया. प्रतिभागियों ने इस ज्ञान को अपने खेतों में लागू करने का संकल्प लिया, ताकि फसल विविधीकरण के माध्यम से उन की कृषि आय और स्थिरता में सुधार हो सके.
कार्यक्रम में परियोजना से जुड़े प्रमुख अधिकारियों में रामजी लाल, एकलिंग सिह, मदन लाल, एनएस झाला, गोपाल नाई और नरेंद्र यादव उपस्थित थे.