हिसार: चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को मुलेठी (Liquorice) (वैराइटी एचएम-1) का उपयोग कर के सिल्वर नैनो कण बनाने की विधि पर भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है. इस विधि को विश्वविद्यालय के आणुविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान विभाग (एमबीबीएंडबी) की पूर्व विभागाध्यक्ष डा. पुष्पा खरब के नेतृत्व में उन के पीएचडी शोधार्थी डा. कनिका रानी और डा. निशा देवी ने विकसित किया है.

इस विधि को पेटेंट अधिनियम 1970 के अंतर्गत 20 वर्ष की अवधि के लिए 486872 संख्या से पेटेंट अनुदित किया गया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पौलीहाउस, ग्रीनहाउस, बागबानी व सब्जियों में रूट नौट निमेटोड यानी जड़गांठ सूत्रकृमि के संक्रमण से बहुत अधिक नुकसान देखा गया है.

पौलीहाउस में नियंत्रित पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण निमेटोड की आबादी में वृद्धि हो जाती है और इन की अत्यधिक संक्रमण दर के कारण कोई फसल नहीं उग पाती है. इस वजह से किसानों को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए हम ने मुलेठी द्वारा निर्मित इन सिल्वर नैनो कणों को रूट नौट निमेटोड पर टैस्ट किया.

इस काम के लिए सूत्रकृमि विभाग के वैज्ञानिक डा. प्रकाश बानाकर का सहयोग लिया गया. शोधार्थियों ने यह जांच पहले लैब में, फिर स्क्रीनहाउस में की, दोनों ही केस में मुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनो कण रूट नौट निमेटोड को मारने में सक्षम पाए गए, इस से संबंधित और भी शोध के काम जारी हैं.

प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि कमर्शियल कैमिकल नेमैटिसाइड (वाणिज्यिक रासायनिक सूत्र कृमिनाशक) की तुलना में मुलेठी द्वारा निर्मित सिल्वर नैनो कणों की बहुत कम मात्रा ही सूत्र कृमिनाशक के रूप में पाई गई है, इसलिए इन सिल्वर नैनो कणों को विभिन्न कृषि फसलों के लिए उपयोग किया जा सकता है.

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