नई दिल्ली : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नई दिल्ली में कृषि भवन में सब्जी समूहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बागबानी समूहों और मूल्य श्रंखला विकास पर हितधारक परामर्श का सफलतापूर्वक आयोजन किया. इस कार्यक्रम ने भारत में कृषि के भविष्य पर विचारविमर्श करने के लिए किसान समूहों, सरकारी एजेंसियों, मंत्रालयों, स्टार्टअप और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों को एकसाथ लाया.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से छोटे किसानों को सहायता देने और ऐसे समूहों के निर्माण के महत्व पर बल दिया, जो दीर्घकालिक स्थिरता और जमीनी स्तर पर प्रभाव सुनिश्चित करते हुए आवश्यक बुनियादी ढांचा और बाजार पहुंच प्रदान करते हैं.

उन्होंने फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और विभिन्न मौसमों के दौरान कीमतों में उतारचढ़ाव को कम करने के लिए भंडारण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

उन्होंने आगे कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में एक ही उपज की कीमत में अंतर का सामना करना पड़ता है, जो इस क्षेत्र के लिए एक प्रमुख समस्या है. उन्होंने इस बात पर बल देते हुए निष्कर्ष निकाला कि बच्चों में कुपोषण की राष्ट्रव्यापी समस्या का मुकाबला करने के लिए क्षेत्र का ध्यान 'फलों और सब्जियों तक पहुंच के बिना कोई बचा नहीं' होना चाहिए.

उन्होंने उपस्थित सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे अपनी सभी चर्चाओं के केंद्र में किसानों को रखें और उन के लाभ को अधिकतम करने के लिए समाधान सुझाएं.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव देवेश चतुर्वेदी ने समूह विकास कार्यक्रम (सीडीपी) के समग्र दृष्टिकोण पर बल दिया. उन्होंने फसल कटाई के बाद प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन आधारित नीति की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हितधारक प्रतिनिधि मूल्य श्रंखला विकास में शामिल हों.

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