नई दिल्ली: 13 फरवरी, 2024 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने विशेष समारोह का आयोजन किया, जिस में प्रतिष्ठित भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन (Prof Swaminathan), एक प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और भारतीय हरित क्रांति के जनक को समर्पित किया गया.
स्वागत भाषण डा. अशोक कुमार सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-भाकृअनुसं और सचिव, एनएएएस द्वारा दिया गया. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के लिए बहुत सम्मान व गर्व की बात है कि प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन को 9 फरवरी, 2024 को भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है.
उन्होंने प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन के आजीवन समर्पण एवं कृषि अनुसंधान, सतत विकास और खाद्य सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे प्रो. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व और नवीन दृष्टिकोण ने भारत और उस के बाहर के कृषि परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है.
इस के उपरांत डा. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर और महानिदेशक, भाकृअनुप एवं अध्यक्ष, एनएएएस ने प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और उन के जीवन के प्रतिबिंबों पर प्रकाश डाला. उन्होंने सीआरआरआई, कटक में प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन के साथ काम करने की अपनी यादें ताजा कीं.
मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. टी. महापात्र, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल के कुलाधिपति डा. आरबी सिंह और टीएएएस के संस्थापक अध्यक्ष डा. आरएस परोदा शामिल थे. डा. एचएस गुप्ता, डा. पंजाब सिंह, डा. केवी प्रभु और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में औनलाइन माध्यम से शामिल हुए.
प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन, जिन्हें भारत के हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है, को 1960-70 के दशक के दौरान गेहूं और धान की फसलों की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के अपने ऐतिहासिक काम के जरीए लाखों लोगों को भुखमरी से बचाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ‘‘हरित क्रांति‘‘ को ‘‘सदाबहार क्रांति‘‘ में बदलने की अद्वितीय अवधारणा भी प्रदान की. उन्होंने गरीबों को लाभान्वित करने के लिए विज्ञान की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास रखा और वह किसानों को जानकारी और संसाधनों से सशक्त करने के मुखर समर्थक भी रहे. उन्होंने साल 1988 में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की.
साथ ही, उन्होंने आर्थिक विकास के लिए रणनीतियों को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए अपनी आखिरी सांस तक वहां काम किया, जिस का लक्ष्य सीधेतौर पर गरीब किसानों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के रोजगार में वृद्धि करना था. उन की विरासत दुनियाभर के शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और अधिवक्ताओं को जलवायु परिवर्तन से ले कर सतत कृषि तक हमारे समय की गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रेरित करती रहती है.
समारोह में प्रोफैसर एमएस स्वामीनाथन के शानदार जीवनवृत्त और स्थाई विरासत पर भाषण, प्रस्तुतियां और विचार प्रस्तुत किए गए. मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को कृषि, अनुसंधान और ग्रामीण विकास में उन के अमूल्य योगदान के लिए अपनी कृतज्ञता और सराहना व्यक्त करने का अवसर मिला.
जब उन्होंने 1960 के दशक में नोबल पुरस्कार विजेता डा. नार्मन बोरलाग के साथ हरित क्रांति की प्रमुख पहल की, तो बाद में उन्होंने सशक्त विकास के लिए कृषि सभी क्षेत्रों को समाहित करने के लिए एक सदैव हरित क्रांति की प्रेरणा की. प्रोफैसर स्वामीनाथन ने भारत में कई प्रमुख पदों को सुंदरता, नवीनता और रचनात्मकता के साथ संभाला जैसे कि निदेशक, भाकृअनुसं (1961-72), महानिदेशक, भाकृअनुप और नवगठित डेयर के सचिव (1972-79), कृषि सचिव, भारत सरकार।(1979), कार्यवाहक उपाध्यक्ष और सदस्य, योजना आयोग (1980-82).
इस के अलावा वे अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस (1982-88) के महानिदेशक बनने वाले पहले भारतीय थे. उन के नेतृत्व को 1987 में पहले विश्व खाद्य पुरस्कार से मान्यता मिली थी. उन की सब से महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक 2004 में आई, जब उन्हें राष्ट्रीय किसान आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. प्रोफैसर स्वामीनाथन ने अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान सेवा (एआरएस) के निर्माण में भी महती भूमिका निभाई थी. कृषि के बारे में अपनी गहरी समझ और नीति निर्माताओं के साथ व्यापक जुड़ाव का लाभ उठाते हुए प्रो. स्वामीनाथन ने कृषि नीति पर निष्पक्ष, ज्ञान आधारित और समग्र मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए समर्पित एक स्वतंत्र ‘‘थिंक टैंक‘‘ के निर्माण का समर्थन किया, जिस के कारण साल 1990 में एनएएस की स्थापना हुई.
प्रो. एमएस स्वामीनाथन की उच्च आयु के बावजूद स्वामीनाथन अनुसंधान और समर्थन में सक्रिय रहे. उन्होंने अपने लेखन, सार्वजनिक भाषण और कई मंच और सम्मेलनों में भाग ले कर ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि के बारे में चर्चा में योगदान करना जारी रखा. प्रोफैसर स्वामीनाथन ने कृषि विकास, अनुसंधान और नीति समर्थन के प्रति समर्पित संस्थाओं और संघों की स्थापना और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इन संस्थानों ने उन के दृष्टिकोण और मूल्यों को आज भी निरंतर बनाए रखा है. प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की बेटियां डा. निथ्या, डा. माधुरा और डा. सौम्या ने कार्यक्रम में अपनी आभासी उपस्थिति दर्ज की और उन के जीवन के प्रतिबिंबों पर विचारविमर्श किया.
कार्यक्रम का समापन एनएएएस के सचिव डा. वजीर सिंह लाकड़ा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संपन्न हुआ.