नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) के साथ मिल कर “गैरबासमती चावल की संभावित किस्मों और चावल के मूल्य वर्धित उत्पादों की रूपरेखा” पर 29 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया.

इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों के भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग जर्मप्लाज्म के साथ कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) के उच्च गुणवत्ता वाले सुगंधित, पोषक तत्वयुक्त चावल की किस्मों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2 अग्रणी अनुसंधान परियोजनाओं, “गैरबासमती चावल की व्यापक अनाज और पोषण गुणवत्ता प्रोफाइलिंग” और “चावल और चावल आधारित खाद्य प्रणालियों से मूल्यवर्धित उत्पाद” के परिणाम प्रदर्शित किए गए.

“चावल और चावल आधारित खाद्य प्रणालियों से मूल्यवर्धित उत्पाद” नामक परियोजना का उद्देश्य पोषक तत्वों से  भरपूर चावल मूसली, साबुत अनाज चावल कुकीज पौप्ड चावल, चावल के टुकड़े और तत्काल उपमा जैसे नवीन, स्वास्थ्यवर्धक चावल आधारित उत्पाद बनाना है.

एपीडा द्वारा समर्थित ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं वाराणसी में आईआरआरआई के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में चावल मूल्य संवर्धन प्रयोगशाला में अत्याधुनिक उत्कृष्टता केंद्र में संचालित की जाती हैं. इस कार्यक्रम के दौरान आईआरआरआई ने देशभर में संभावित गैरबासमती चावल की किस्मों की रूपरेखा प्रस्तुत की और वैश्विक बाजार क्षमता वाले मूल्यवर्धित उत्पादों का प्रदर्शन किया.

वाणिज्य विभाग के अपर सचिव, राजेश अग्रवाल ने अपने मुख्य भाषण में गैरबासमती चावल की संभावित किस्मों पर केंद्रित अनुसंधान के लिए एपीडा और आईआरआरआई के संयुक्त प्रयासों को स्वीकार किया और उन की सराहना की. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस संयुक्त पहल में बड़ी संभावनाएं हैं और गैरबासमती चावल की पहचानी गई किस्मों में न केवल महत्वपूर्ण निर्यात क्षमता है, बल्कि कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स जैसे स्वास्थ्य लाभ भी हैं और यह जलवायु अनुकूल है. उन्होंने इन किस्मों की निर्यात संभावना और विपणन क्षमता का दोहन करने के लिए गैरबासमती चावल किस्मों के मूल्य संवर्धन और ब्रांडिंग पर भी ध्यान आकर्षित किया.

एपीडा के अध्यक्ष, अभिषेक देव ने देश में चावल उद्योग के महत्व, मूल्यवर्द्धन की जरूरत और स्थिरता व वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए अनुसंधान पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की. उन्होंने चावल निर्यात बढ़ाने और मूल्य श्रंखला में सभी हितधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता भी व्यक्त की. इस के अलावा उन्होंने चावल निर्यात और चावल से बने उत्पादों को बढ़ाने के लिए रणनीतियां विकसित करने के शुरुआती प्रयास पर बल दिया.

एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने आईएसएआरसी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं न केवल स्वस्थ भोजन विकल्पों की बढ़ती मांग का जवाब देती हैं, बल्कि मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए पारंपरिक चावल की किस्मों का भी उपयोग करती हैं.”

एपीडा की पहलों की सफलता के आधार पर हितधारकों के साथ रणनीतिक सहयोग, औद्योगिक हितधारकों द्वारा लक्षित विपणन प्रयासों के साथसाथ, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार पहुंच का विस्तार करने में महत्वपूर्ण होगा, जिस से प्रीमियम अर्थव्यवस्था में योगदान होगा और गैरबासमती श्रेणी के तहत निर्यात संभावना बढ़ेगी.

एपीडा के समर्थन ने इन परियोजनाओं की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिस ने आईएसएआरसी को अग्रणी प्रगति करने में सक्षम बनाया है और जो भारत के चावल उद्योग के भविष्य को आकार देगा. कम जीआई चावल की किस्मों और पोषक तत्वों से भरपूर मूल्यवर्धित उत्पादों को विकसित करने का संयुक्त दृष्टिकोण भारत की निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा देने और कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के भीतर महत्वपूर्ण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.

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