जयपुर: राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 5वें ब्रासिका सम्मेलन का सरसों अनुसंधान समिति के सहयोग से आयोजन शुरू हुआ. तीनदिवसीय सम्मेलन का आरंभ कृषि मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने किया.
कृषि मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान सरसों उत्पादन में प्रथम स्थान पर है और राजस्थान के पूर्वी जिलों में सर्वाधिक सरसों उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि राजस्थान उच्च गुणवत्ता की सरसों का उत्पादक राज्य है, फिर भी इतनी पैदावार होने के बाद भी सरसों का आयात करना पड़ता है, क्योंकि आईसीएआर के अनुसार, पहले तेल की प्रति व्यक्ति उपभोग दर 8 किलोग्राम थी और वर्तमान में उपभोग दर बढ़ कर 19 किलोग्राम हो गई है, इसलिए प्रति व्यक्ति उपभोग दर बढ़ने से कमी का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहे हैं, इसलिए हमें भी आत्मनिर्भर होने के लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने वैज्ञानिकों से विचारविमर्श करते हुए कहा कि हमें सरसों में प्राकृतिक आपदा और चेंपा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए तकनीकी ईजाद करनी चाहिए.
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बलराज सिंह ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन का मुख्य राज्य है, जिस में पैदावार की अपार संभावनाएं हैं, जिस पर हमें काम करने की जरूरत है, वहीं एफिड की समस्या के अतिरिक्त वातावरण परिवर्तन की अनेक समस्याओं के साथसाथ बीमारियों की समस्याएं भी सरसों की पैदावार घटाने में अहम हैं, जिस पर हमें ध्यान देूने की जरूरत है. राजस्थान के कई जिले अन्य तिलहन फसलों के उत्पादक हैं. सरसों व तारामीरा तेल उत्पादन के साथसाथ शहद उत्पादन में भी मुख्य भूमिका निभाते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में अखिल भारतीय गेहूं सुधार परियोजना के तहत कई किस्में विकसित की गई हं,ै जिन में राज 3077 सब से पुरानी किस्म है और जौ में माल्टिंग प्रयोग, दोहरे प्रयोग की किस्में और चारे के लिए प्रयोग की किस्में विकसित की गई हैं. साथ ही, खाद्य प्रयोग के लिए प्रयुक्त जौ पर काम किया जा रहा है, जो मधुमेह के मरीजों के लिए लाभदायक होता है.
इस दौरान सारांश पुस्तिका एवं डा. मनोहर राम एवं अन्य वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई सरसों एवं तारामीरा के इतिहास पुस्तिका का विमोचन किया गया. सम्मेलन में देशभर से आए तकरीबन 176 वैज्ञानिकों ने शिरकत की. सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र भी उपस्थित रहे.