सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के मुख्य सभागार में इंडियन सोसाइटी औफ माइकोलौजी एवं प्लांट पैथोलौजी, उदयपुर, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘टिकाऊ पादप स्वास्थ्य हेतु जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन’ विषय पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय कृषि संगोष्ठी का 10 जुलाई, 2024 को विधिवत शुभारंभ हुआ.
इस 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा. जवाहर लाल, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया. इस समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, कृषि, डा. एके साह, निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. फिजा अहमद, कुलसचिव डा. मिजानुल हक और अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं आयोजन सचिव डा. जेएन श्रीवास्तव मंच पर उपस्थित रहे. इस के बाद सफरनामा के माध्यम से बीएयू, सबौर की गतिविधियों की झलक दिखाई गई.
स्वागत भाषण डा. जेएन श्रीवास्तव, निदेशक, छात्र कल्याण एवं सम्मेलन के संयोजक सहआयोजन सचिव ने दिया. उन्होंने सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य साझा करते हुए यह बताया कि इस संगोष्ठी को 10 मुख्य विषयों में बांटा गया है, जिस में अलगअलग व्याख्यान एवं पोस्टर प्रदर्शित किए जाएंगे.
डा. जेएन श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण में बदलती जलवायु के बारे में चिंता जताई, जिस से रोग व कीटों की घटनाओं को बढ़ावा मिला है और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में भी बदलाव आया है. इस परिदृश्य में जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन का महत्व अत्यंत आवश्यक है. इसी दिशा में यह सम्मेलन इसे पूरा करेगा और वैज्ञानिकों और किसान समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होगा.
डा. फिजा अहमद, निदेशक, बीज एवं प्रक्षेत्र, बीएयू सबौर ने अपने उद्बोधन में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का उल्लेख किया और विशेष रूप से बदलती जलवायु के तहत अत्यधिक रोग व कीट की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक अवशेषों के खतरों पर जोर दिया.
डा. मिजानुल हक, कुलसचिव, बीएयू, सबौर ने अपने उद्बोधन में युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित किया और सतत विकास लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के तरीकों के महत्व को व्यक्त किया. उन्होंने बढ़ती वैश्विक आबादी को खिलाने के लिए सतत कृषि प्रणालियों और इस उद्देश्य के लिए पारंपरिक ज्ञान के साथ नवीन विचारों के उपयोग पर जोर दिया.
डा. एके सिंह, निदेशक अनुसंधान, बीएयू, सबौर ने सतत कृषि प्रणाली के लिए अंतःविषय अनुसंधान दृष्टिकोणों पर जोर दिया. उन्होंने कृषि प्रणाली में सुधार के लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के समग्र दृष्टिकोण पर जोर दिया.
इसी कड़ी में डा. एके साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर ने जलवायु स्मार्ट रोग व कीट प्रबंधन पर उत्कृष्ट विचारविमर्श की अपेक्षा व्यक्त की, जो जलवायु स्मार्ट रोग प्रबंधन रणनीतियों के लिए सिफारिशें लाएगी.
उद्घाटन सत्र में सम्मेलन स्मारिका और डा. अभिजीत घटक द्वारा लिखित पुस्तक “अनरेपिंग द वैल्यू फ्राम वेस्ट” का अनावरण किया गया. अध्यक्षीय भाषण डा. जवाहर लाल, कुलपति तिलका मांझी, भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया. सर्वप्रथम उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा. डीआर सिंह का धन्यवाद किया और विश्वविद्यालय में हो रही एनआईटी की नई गतिविधियों और विकास के लिए उन्हें बधाई दी.
उन्होंने कौशल विकास के लिए बीएयू और टीएमबीयू के बीच सहयोगात्मक पहलों पर जोर दिया. उन्होंने समाज विकास को लक्षित करने वाले अनुसंधान करने का आग्रह किया. साथ ही, उन्होंने ज्ञान अर्थव्यवस्था पर जोर दिया, जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए ज्ञान आधारित विकास है. उन्होंने हमारी अगली पीढ़ियों के बारे में सोचने और बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फसल उगाने की एक स्थायी प्रणाली अपनाने के लिए कहा.
डा. जवाहर लाल ने इस संगोष्ठी से निकल कर आने वाले मुख्य बिंदुओं के ऊपर नीति निर्धारित करने के लिए आयोजन समिति द्वारा बिहार सरकार के समक्ष आह्वान किया.
इस संगोष्ठी में देश के अन्य भागों से आए हुए डा. दिनेश सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष, पौधा संरक्षण, आईआईएसआर, डा. रेखा बलोदी, वैज्ञानिक आईसीएआर-एनआरसीआईपीएम एवं विभिन्न संस्थानों के तकरीबन 170 से अधिक वैज्ञानिक एवं छात्रों ने प्रतिबंधन करवाया गया.
अंत में डा. चंदा कुशवाहा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. उन्होंने सभी प्रतिनिधियों और प्रमुख वक्ताओं का स्वागत किया और धन्यवाद दिया. उन्होंने सम्मेलन के आयोजन में सीधे और परोक्ष रूप से शामिल सभी लोगों का धन्यवाद किया. वर्तमान परिपेक्ष में बदलते जलवायु से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के प्रबंधन हेतु यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय के इस महत्त्वपूर्ण विषय के प्रति संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस संगोष्ठी में ‘’जलवायु अनुकूल रोग प्रबंधन’ की विभिन्न चुनौतियों व संभावनाओं के दृष्टिगत 10 विषयों पर चर्चा एवं प्रस्तुति दी जाएगी.