कोटा: कृषि विश्वविद्यालय, कोटा का सातवां दीक्षांत समारोह 25 जून, 2024 को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया. इस समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल कलराज मिश्र ने की. अतिथियों में डा. पंजाब सिंह, सचिव (डेयर) एवं पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली और कुलाधिपति, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी की उपस्थिति रही.

कुलपति डा. अभय कुमार व्यास ने बताया कि सातवां दीक्षांत समारोह में अकादमिक वर्ष 2022-23 की स्नातक, स्नातकोत्तर एवं विद्या वाचस्पति परीक्षाओं में उत्तीर्ण 310अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं. इन में से 271 कृषि, उद्यानिकी एवं वानिकी स्नातक, 34 कृषि, उद्यानिकी एवं वानिकी स्नातकोत्तर और 5 कृषि एवं उद्यानिकी विद्या वाचस्पति के अभ्यर्थी शामिल हैं. इस समारोह में कुल 10 अभ्यर्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, जिन में से 6 स्वर्ण पदक छात्राओं और 4 छात्रों ने प्राप्त किए.

अकादमिक वर्ष 2022-23 के लिए श्वेता चुघ, स्नातक (औनर्स) उद्यानिकी को कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. इसी प्रकार अकादमिक वर्ष 2022-23 के लिए अश्विनी मेहता स्नातकोत्तर (कृषि) आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया.
इस के अलावा संजय सैनी, स्नातक (औनर्स) वानिकी एवं युक्तैश औदिच्य, स्नातक (औनर्स) कृषि को स्वर्ण पदक दिए गए.

स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों में विश्वदीप बालयान, स्नातकोत्तर (उद्यानिकी) फल विज्ञान; संपत्ति यादव, स्नातकोत्तर (कृषि) उद्यानिकी, अश्विनी मेहता, स्नातकोत्तर (कृषि) आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन, बरखा कुमारी वर्मा, स्नातकोत्तर (कृषि) मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन एवं मनराज धाकड, स्नातकोत्तर (कृषि) पादप रोग विज्ञान को स्वर्ण पदक दिए गए.

दीक्षांत समारोह में राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा कलराज मिश्र ने कहा कि इस समय कृषि बहुत सारी चुनौतियों के साथ आधुनिक विकास की तरफ आगे बढ़ रही है. कृषि भूमि व पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन एवं कृषि लागत में बढ़ोतरी जैसी बड़ी चुनौतियों को ध्यान में रख कर कृषि विश्वविद्यालय, कोटा किसानों के लिए हितकर योजनाओं के साथ ही आधुनिक ज्ञानविज्ञान के प्रसार केंद्र के रूप में भी अपनी भूमिका निभाएं. कोटा संभाग में एग्रीटूरिज्म के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए कैसे एग्रीटूरिज्म को बढ़ावा मिले, कैसे इस के तहत युवाओं को प्रेरित किया जाए, इस पर भी विश्वविद्यालय काम करे. साथ ही, उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समन्वित तरीकों से परियोजनाओं पर काम करें, ताकि बड़े स्तर पर उस का लाभ किसानों को और उन के जरीए हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को मिल सके. साथ ही, जैविक खेती की आधुनिकी के लिए जितना अधिक काम विश्वविद्यालय करेंगे, उतना ही हम पर्यावरण संकट से भी उबर पाएंगे.

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