श्रीकाकुलम: 3 नवंबर, 2023. भाकृअनुप-नार्म ने श्रीकाकुलम जिले के 4 गांवों (संथाकोथावलसा, कोंडावलसा, कोंडरागुडा और इसाकापलेम) के अनुसूचित जाति के किसानों के लिए ‘‘बेहतर फसल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों एवं श्रीअन्न के मूल्य संवर्धन‘‘ पर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), अमादलावलसा, श्रीकाकुलम जिला, आंध्र प्रदेश के सहयोग से कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 28 महिलाओं समेत कुल 75 किसानों ने हिस्सा लिया.
डा. पीवी सत्यनारायण, प्रमुख, एआरएस, रागोलु ने किसानों को श्रीअन्न (मिलेट्स) के महत्व के बारे में बताया, क्योंकि इस में अच्छा फाइबर, प्रोटीन और खनिज होते हैं, इसलिए दिल और एनीमिया के रोगियों के लिए इस का सेवन आवश्यक है. उन्होंने बाजरा में 4 प्रबंधन विधियों, जैसे- बीज का चयन, बोआई का समय, उर्वरक आवेदन का समय और सिंचाई का उचित समय भी समझाया.
एटीएमए के परियोजना निदेशक एस. रामचंद्र राव ने किसानों को श्रीअन्न उत्पादन के संबंध में केवीके प्रौद्योगिकियों के सर्वोत्तम उपयोग का सुझाव दिया. उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि रोजमर्रा की जिंदगी में श्रीअन्न कितना महत्वपूर्ण है और वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष क्यों घोषित किया गया है. बाद में केवीके, आमदालावलसा की कार्यक्रम समन्वयक डा. के. भाग्यलक्ष्मी ने किसानों को दैनिक जीवन में श्रीअन्न के मूल्यवर्धन के बेहतर उपयोग का सुझाव दिया. साथ ही, श्रीअन्न के मूल्य संस्करण में उद्यमिता को बढ़ावा दिया.
किसानों को श्रीअन्न की विधियों के बेहतर पैकेज, श्रीअन्न के पोषण महत्व और स्वास्थ्य लाभ, वर्तमान कृषि में जैव उर्वरकों के महत्व, मछली एवं पशु पोषण में श्रीअन्न की भूमिका, श्रीअन्न के साथ विविध मूल्यवर्धित उत्पादों की तैयारी, पैकिंग, ब्रांडिंग, एफएसएसएआई पंजीकरण प्रक्रियाओं से संबंधित पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया. इस के साथसाथ एआरएस, विजयनगरम में श्रीअन्न प्रसंस्करण इकाई का ऐक्सपोजर दौरा भी किया गया.
डा. डी. श्रीनिवास, एसोसिएट डीन, कृषि महाविद्यालय, नायरा ने किसानों को सब्सिडी पर बीज प्रसंस्करण इकाइयां प्राप्त करने के लिए क्लस्टर बनाने का सुझाव दिया. साथ ही, किसानों को श्रीअन्न के महत्व के बारे में बताया और बेहतर पैदावार के लिए इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्मों का चयन करने और खेती करने का सुझाव दिया. किसानों को केवीके द्वारा दी गई तकनीकी सहायता का अधिकतम सीमा तक उपयोग करने की उन्होंने सलाह दी.
प्रगतिशील किसान बीवी रमण मूर्ति ने किसानों को श्रीअन्न की खेती के बारे में प्रोत्साहित किया और इस बात पर जोर दिया कि किसानों को खानेपीने की आदतों में बदलाव की जरूरत है.
डा. एम. रमेश नाइक, वैज्ञानिक, भाकृअनुप- नार्म , डा. एस. किरण कुमार और डा. बी. सुनीता, केवीके, आमदालावलसा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम कोआर्डिनेट किया.