उदयपुर : 8 जून, 2023 को “छोटे अनाजों के नियमित सेवन से बीमारियों और दवाओं से दूर रहा जा सकता है,“ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने “मेनस्ट्रीमिंग माइनर मिलेट्स इन टू फूड सिस्टम“ में अपने विचार व्यक्त करते हुए ये शब्द कहे.

वे विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर कृषि विश्वविद्यालय एवं वाग्धारा संस्था और भूमिका के संयुक्त तत्वावधान में राज्य में छोटे अनाज को बढ़ावा देने और छोटे अनाज को सामान्य जन की भोजन थाली का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि पहले व्यक्ति खाने को देख कर, सूंघ कर और फिर स्वाद ले कर खाते थे, मगर अब वे मस्तिष्क के हिसाब से खाना खाते हैं ये देख कर कि क्या उन के भोजन में शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं या नहीं.

इस अवसर पर उन्होंने आगे कहा कि छोटे अनाज को भोजन में शामिल करना व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है, जिस से वह लंबी उम्र का आनंद ले सकते हैं.

इस कार्यक्रम में देशभर से 8 राज्यों के विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया. डा. सुदीप शर्मा द्वारा कार्यक्रम में अतिथियों के स्वागत के पश्चात वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने अपने उद्घाटन उद्बोधन में कहा कि लंबे अरसे से किसानों और समुदाय के लिए किए गए काम को एक वैज्ञानिक आधार की आवश्यकता है, जो कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से मिल सकता है, जिस से कार्य का महत्त्व बढ़ जाता है. ये संवाद विस्तार और अनुसंधान की कड़ी का एक हिस्सा है.

उन्होंने इस प्रकार के संवाद नियमित चलते रहने पर बल दिया और उम्मीद जताई कि ये संवाद किसानों, कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्य सरकार के माध्यम से पूरे देश में पहुंचना आज अत्यंत आवश्यक है.

डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान, एमपीयूएटी ने बताया कि कार्यशाला के दौरान 4 सत्रों में चर्चा हुई. राज्य में छोटे अनाज के उत्पादन और विविधता को बढ़ाना, छोटे अनाज के प्रसंस्करण के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण को सरल बनाना, छोटे अनाज की खपत बढ़ाने के तरीके और छोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बाजारों और छोटे उद्यमों को सुदृढ़ बनाना.

चर्चा के दौरान कृषि विशेषज्ञों, किसानों, एफपीओ और अर्थशास्त्रियों ने स्थानीय लेवल पर छोटे अनाज का उत्पादन बढ़ने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान करने, इन्हें आईसीडीएस और पीडीएस में शामिल करने, समुदाय के द्वारा इन के बीजों का गुणन कर किसानों को मिनीकिट के रूप में वितरित करने और इन के प्रसंस्करण के लिए आवश्यक तकनीक उपलब्ध करने की बात कही. छोटे अनाज के लिए बाजार में मांग बढ़ने के उपायों पर भी चर्चा की गई और इन की ब्रांडिंग करने पर बल दिया गया, वहीं दूसरी ओर प्रसंस्करण में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए एग्रोनोमी प्रैक्टिसेज को सुधार कर स्थानीय स्तर पर खरीद की आवश्यकता महसूस की गई.

इस पर चर्चा में भाग लेते हुए वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि यदि किसान स्वयं के स्तर पर उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास करें, तो धीरेधीरे प्रसंस्करण संबंधित मुद्दों का हल स्वतः ही निकल जाएगा और अपनेआप ही इस के उपाय निकलने लगेंगे.

विशषज्ञों ने कहा कि छोटे अनाज में इतनी जेनेटिक क्षमता है कि यदि एक एग्रोनोमी आधारित उत्पादन तंत्र विकसित हो जाए, तो उत्पादन अपनेआप ही बढ़ने लगेगा. ये ऐसी फसलें हैं, जो उगने में और खाने में आसान है. इसे किसी भी वातावरण में उगाया जा सकता हैं. ये कम पानी में उग जाती हैं. इन से न सिर्फ मनुष्य के लिए भोजन, बल्कि पशुओं के लिए चारा और जलावन भी मिलता है. इन से मिट्टी की उत्पादकता बनी रहती है.

डा. अमित त्रिवेदी, जोनल डायरेक्टर रिसर्च, एमपीयूएटी, उदयपुर ने समापन उद्बोधन दिया और वाग्धारा के पीएल पटेल ने कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया.

डा. एसके शर्मा, सहायक महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, एसआर मालू, पूर्व निदेशक अनुसंधान और एमपीयूएटी, उदयपुर के प्रबंध मंडल सदस्य, डा. एम. एलानगोवन, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर, भारतीय खाद्यान्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, डा. हेमलता शर्मा, एचओडी, प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स विभाग, आरसी त्रिनाथ तारापुतिया, रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एरिया नेटवर्क, ओडिशा, मानसिंह निनामा, मानगढ़ कृषि उत्पादक कंपनी लिमिटेड, बांसवाड़ा, एमएन दिनेश, प्रबंध निदेशक, अर्थ 360 इको वेंचर्स, आंध्र प्रदेश, शशांक गुवालानी, भूमगाड़ी आर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़, भूरालाल पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक, कृषि विभाग, उदयपुर, रामवीर सिंह, कार्यक्रम प्रबंधक, राष्ट्रीय महिला बाल एवं युवा विकास संस्थान, जबलपुर, रेखा पेंद्रम, अध्यक्ष एफपीओ, करंजिया मिलेट्स फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, डिंडोरी, मध्य प्रदेश, किसान आयोग के सदस्य और वरिष्ठ सलाहकार, मिलेट्स विकास निदेशालय, जयपुर, राजस्थान के डा. ओपी खेदर, संजय पाटिल, मुख्य विषयगत कार्यक्रम कार्यकारी, बीएआईएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, अनिल उप्पलपति, वासन, हैदराबाद, संजीव कुमार शर्मा, खेती विरासत मिशन, पंजाब, डा. सरला लखावत, विभागाध्यक्ष, खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग, एमपीयूएटी, बीएम दीक्षित, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, कृषि विभाग एवं पूर्व एमडी, राजस्थान राज्य बीज निगम लिमिटेड, जयपुर, डा. लतिका शर्मा, एचओडी, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, संजीव के. पंड्या, उपनिदेशक, कृषि विपणन, उदयपुर, रोहित जैन, संस्थापक, बनयान रूट्स, उदयपुर, गुरमुख सिंह, खेती विरासत मिशन, पंजाब और वेल्ट हंगर हिल्फे की श्रुति पांडेय ने भी अपने विचार रखे.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...