हिसार : किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को हरियाणा सरकार ने पूरा कर दिया है. अब प्रदेश सरकार किसानों की 24 फसलों को शतप्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगीं.

ये विचार प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने व्यक्त किए. वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘किसान दिवस’ के मौके पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्यातिथि प्रगतिशील किसानों एवं वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे.

नलवा के विधायक रणधीर पनिहार विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि प्रदेश की सरकार ने किसानों की माली हालत को सुधारने के लिए एमएसपी की गांरटी दे दी है, जिस से किसानों की आय बढ़ाने मे मदद मिलेगी. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथसाथ हमें मिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए खेत को भी आत्मनिर्भर बनाना होगा, जो कि संबंधित खेत में पराली प्रबधंन, फसल अवशेषों को उसी खेत में समाहित करने व अन्य जैविक प्रबधंन करने से संभव है.

उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों के जरीए किसानों को स्वस्थ पौध, बीज व फलदार पौधे उपलब्ध करवाने पर भी जोर दिया और किसानों से कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए 24 फसलों पर एमएसपी की गांरटी देने के इस फैसले के साथ हरियाणा 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

उन्होंने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है. खेती में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग करने से जमीन खराब होती जा रही है.

उन्होंने यह भी कहा कि किसान को परंपरागत तरीके से खेती करने व रसायनों की सिफारिश के मुताबिक उपयोग करने की जरूरत है. किसानों को कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपना कर अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए. किसानों को परंपरागत फसलों के साथसाथ पशुपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन और खुम्ब उत्पादन को भी प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि उन की माली हालत मजबूत हो सके.

जल, जमीन व पर्यावरण भावी पीढ़ी की धरोहर, उन्हें बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी : प्रो. बीआर कंबोज

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों से आह्वान किया कि जल, जमीन व पर्यावरण भावी पीढ़ी की धरोहर है, उन्हें बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है. हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है. साथ ही, हमें अपने लाभ के लिए उन का अत्यधिक दोहन करने से बचना चाहिए. कृषि में विविधीकरण को अपनाएं और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाएं, ताकि विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला किया जा सके.

उन्होंने आगे कहा कि हर हाथ को रोजगार उपलब्ध करवा कर ही हम भारत को साल 2047 तक स्वावलंबी, आत्मनिर्भर एवं विकसित राष्ट्र बना सकते हैं. विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को कृषि से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देने के साथसाथ संबंधित सामग्री भी उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि वे स्वरोजगार स्थापित कर के आत्मनिर्भर बन सकें. विश्वविद्यालय टिश्यू कल्चर तकनीक के माध्यम से गन्ने, केले व अन्य तरह की रोगरहित पौध विकसित कर के किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय और उन्नत तकनीकों को अपना कर पानी का उचित प्रबंधन करने की बहुत ही जरूरत है.

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नलवा के विधायक रणधीर पनिहार ने सरकार द्वारा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गांरटी देने पर प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे शोध के कामों एवं उन्नत किस्म के बीजों के कारण प्रदेश के कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है.

विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत किया, जबकि कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर मुख्यातिथि श्याम सिंह राणा ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस अवसर पर मुख्यातिथि ने विश्वविद्यालय व कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने वाले किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. कार्यक्रम में किसान रत्न सम्मान गांव कनावली, जिला रेवाड़ी के प्रगतिशील किसान यशपाल को प्रदान किया गया. इस के अतिरिक्त प्रत्येक जिले के एक महिला एवं एक पुरुष प्रगतिशील किसान को भी सम्मानित किया गया.

मुख्यातिथि ने खरीफ एवं रबी फसलों की समग्र सिफारिशों पर आधारित पुस्तकों का भी विमोचन किया. इस अवसर पर प्रदेश के सभी जिलों के किसान खासतौर पर महिला किसान उपस्थित रहीं.

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