नई दिल्ली : कृषि में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए भारत सरकार जैविक उर्वरक और जैव उर्वरकों के संयोजन के साथ मिट्टी जांच को ध्यान में रखते हुए उर्वरकों के संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा दे रही है. इस के अलावा परंपरागत कृषि विकास योजना यानी पीकेवीवाई, नमामि गंगे, भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति यानी बीपीकेपी, उत्तरपूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास यानी एमओवीसीडीएनईआर, राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना यानी एनपीओएफ आदि के तहत किसानों को जैविक और जैव उर्वरकों के उपयोग के लिए सहायता प्रदान की जाती है. इस के अलावा, राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र यानी एनसीओएफ जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता फैलाने और प्रशिक्षण गतिविधियों में शामिल है.
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीईए ने अपनी बैठक में “पीएम प्रोग्राम फौर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जनरेशन, नरिशमेंट एंड एमेलिओरेशन औफ मदर अर्थ (पीएम प्रणाम)” को मंजूरी दे दी है.
इस पहल का उद्देश्य उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू कर के धरती के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन का समर्थन करना है.
उक्त योजना के तहत पिछले 3 वर्षों की औसत खपत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों यानी यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी आदि की खपत में कमी के माध्यम से एक विशेष वित्तीय वर्ष में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश द्वारा उर्वरक सब्सिडी का जो 50 फीसदी बचाया जाएगा, उसे अनुदान के रूप में उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को दे दिया जाएगा.
इस के अलावा सीसीई ने 28 जून, 2023 को आयोजित अपनी बैठक में 1,500 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता (एमडीए) को मंजूरी दे दी है, ताकि जैविक उर्वरकों को बढ़ावा दिया जा सके. इस का अर्थ है, गोबरधन पहल के तहत संयंत्रों द्वारा उत्पादित खाद को प्रोत्साहन देना.
इस पहल में विभिन्न बायोगैस/सीबीजी समर्थन योजनाएं/कार्यक्रम शामिल हैं. ये सभी हितधारक मंत्रालयों/विभागों से संबंधित हैं, जिन में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) योजना, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को शामिल किया गया है. इन का कुल परिव्यय 1451.84 करोड़ रुपए (वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26) है, जिस में अनुसंधान संबंधी वित्त पोषण के लिए 360 करोड़ रुपए की निधि शामिल है.
यह जानकारी रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी.