हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ‘कृषि में सूत्रकृमियों का महत्व’, विषय पर दोदिवसीय वार्षिक समीक्षा बैठक का शुभारंभ हुआ. मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय में आयोजित इस बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज मुख्य अतिथि थे, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अतिरिक्त महानिदेशक डा. पूनम जसरोटिया विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहीं.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नेमाटोलौजी विभाग ने अपनी स्थापना के पश्चात नई ऊंचाइयों को छुआ है और शिक्षण, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. विभाग ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सूत्रकृमि प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने में अहम योगदान दिया है.

उन्होंने आगे बताया कि संरक्षित कृषि प्रणाली, अमरूद व नीबू के बागों, सब्जी की फसलों, चावलगेहूं व अन्य फसलों में भी जड़गांठ व सूत्रकृमि की समस्या बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि किसान जानकारी की कमी में नर्सरी से रोगग्रस्त पौधों को अपने खेत या बाग में लगा देते हैं, जिस से बाद में उन्हें माली नुकसान उठाना पड़ता है.

उन्होंने यह भी कहा कि बागबानी फसलों को लगाने से पहले किसान को अपने खेत की मिट्टी जांच अवश्य करवानी चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का पता लगाया जा सके. उन्होंने बताया कि सूत्रकृमि की जानकारी से ही इस के नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है. हरियाणा की कृषि उत्पादकता पर इन सूत्रकृमि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिरोधी फसल किस्मों, फसल चक्र और प्रभावी जैव कीटनाशकों के उपयोग के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है.

विभाग के अनुसंधान कार्य के आधार पर चावल, गेहूं, पौलीहाउस (टमाटर, खीरा और शिमला मिर्च), मशरूम, फल फसलों, सब्जियों आदि में पादप परजीवी निमेटोड के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं. निमेटोड समस्या के निदान के लिए सर्वे और मिट्टी के नमूने के माध्यम से खेतों की नियमित निगरानी की जा रही है. कार्यक्रम में फसलों पर सूत्रकृमि प्रबंधन विषय पर पुस्तिका का विमोचन भी किया गया.
विशिष्ट अतिथि डा. पूनम जसरोटिया ने नैनो टैक्नोलौजी, आरएनएआई से सूत्रकृमि प्रबंधन और लाभदायक सूत्रकृमियों से कीड़ों की रोकथाम के महत्व पर प्रकाश डाला.

उन्होंने बताया कि इस समीक्षा बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारियों और विशेषज्ञों की मौजूदगी में प्रयोगात्मक नतीजों और महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रस्तुत किया जाएगा. इस बैठक में विभिन्न केंद्रों के सूत्रकृमि वैज्ञानिक पिछले साल के कामों के आधार पर अपने अनुभव सांझा करेंगे. साथ ही, अगले वर्ष की कार्ययोजनाओं का निर्धारण भी करेंगे.

प्रोजैक्ट कोऔर्डिनेटर डा. गौतम चावला ने कृषि में सूत्रकृमियों द्वारा नई उभरती समस्याओं, उन के प्रबंधन और किसानों द्वारा सूत्रकृमियों के सफल प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

उन्होंने गत वर्ष के दौरान किए गए कार्यों एवं उपलब्धिों के बारे में विस्तृत रिर्पोट भी प्रस्तुत की. उन्होंने प्राकृतिक खेती, विभिन्न फसलों, दालों, सब्जियों एवं किसानों को विभिन्न प्रकार की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी बताया.

विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा ने सभी का स्वागत किया, जबकि सूत्रकृमि विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अनिल कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. मंच का संचालन डा. चेत्रा भट्ट ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सूत्रकृमि विभाग के अधिकारी सहित देश के 24 केंद्रों से आए वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया.

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