उदयपुर, 05 अक्टूबर: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर नवीन शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को लागू करने वाला देश का प्रथम विश्वविद्यालय बन गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेशचंद्र अग्रवाल की मौजूदगी में विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित विद्यार्थियों को ’दीक्षा का आरंभ-2024’ कार्यक्रम में छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की गई. यानी कृषि विषय में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाली नई पीढ़ी अब नई शिक्षा नीति के मसौदे के आलोक में नए आयाम व पाठ्यक्रम के साथ अपनी शिक्षा पूर्ण करेंगे.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित भव्य ’दीक्षा का आरंभ- 2024’ कार्यक्रम में उदयपुर, डूगंरपुर एवं भीलवाड़ा जिलों के विभिन्न संकायों के प्रथम वर्ष के पांच सौ से ज्यादा छात्रछात्राओं ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2021 में कमेटी का गठन की नई शिक्षा नीति को लगभग चार वर्ष में अंजाम दिया. इसका मुख्य ध्येय कृषि में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर भारत को ’ज्ञान समाज’ में बदलना जिसमें छात्रों को राष्ट्रीय एवं वैश्विक समस्याओं से सामना करने के लिए तैयार करना है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) आई.सी.ए.आर. डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि छठी डीन कमेटी की सिफारिशों को 1340 पृष्ठों में समाहित किया गया है. ’दीक्षा का आरंभ’ भी इन्ही में से एक सिफारिश है.

उन्होंने कहा कि शिक्षार्थी को कभी भी तनाव में नहीं रहना चाहिए बल्कि आनंद और उल्लासित माहौल में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है शिक्षा ग्रहण करते समय तन और मन दोनों का स्वस्थ होना जरूरी है. यह जरूरी नहीं है कि आपने कितनी पढ़ाई या डिग्री हासिल की है बल्कि जरूरी है आपमें जुनून कितना है. डॉ. अग्रवाल का कहना था कि कई ऐसे लोग उदाहरण है जिन्होंने बहुत कम शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद अपना नाम शीर्ष पर गिनाया है.

बिल गेट्स, स्टीव जाब्स, उड़ीसा के पद्मश्री कवि हलधर नाग के नाम गिनाते हुए उन्होंने कहा कि बहुत कम पढ़ाई के बावजूद दुनिया में इन लोगों ने कीर्तिमान स्थापित किया. क्योंकि उनमें विजन और जुनून था. आज भारत में 27 प्रतिशत युवा है. दुनिया के सर्वाधिक युवा भारत में होने से हम बहुत कुछ करने में सक्षम हैैं. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कृषि का आसमान असीम है. कई लोगों ने पढ़ाई कुछ और की लेकिन जैविक खेती, प्राकृतिक खेती में अनुकरणीय काम कर रहे हैैं.

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 2024 में हमारे वैज्ञानिकों ने 25 पेटेंट हासिल किए. आगामी तीन माह में इनमें और भी वृद्धि होगी. प्राकृतिक, जैविक खेती में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विशेष पहचान बनाई है.

आरंभ में विभिन्न संकायों के डीन डायरेक्टर डॉ. आर.बी. दुबे, डॉ. धृति सोलंकी, डॉ. आर.ए. कौशिक, भीलवाड़ा के डॉ. एल.एन. पंवार, डूंगरपुर के डीन डॉ. आर.पी. मीणा आदि ने नई शिक्षा नीति की अनुशंसाओं में महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण प्रावधान करने का आग्रह किया. विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री सुधांशु सिंह थे जबकि संचालन ओएडी डॉ. वीरेन्द्र नेपालिया ने किया. आरंभ में अतिथियों को मेवाड़ी साफा, उपरणा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.

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