हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘कृषि शोध में आवश्यक बदलाव लाने एवं निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने’ विषय पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में औनलाइन मीटिंग का आयोजन किया गया. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे. इस बैठक में देश के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, वैज्ञानिकों, निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों एवं प्रगतिशील किसानों सहित सभी हितधारकों ने भाग लिया.

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने अपने संबोधन में किसानों की माली हालत को सुदृढ़ करने एवं खेती की लागत को कम कर के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पहले हमारे देश में खाद्यान्न उत्पादन कम होने के कारण अनाज को विदेशों से मंगाना पड़ता था. खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए कृषि वैज्ञानिक देश में हरित क्रांति ले कर आए. अब हमारा देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि विदेशों में अनाज का निर्यात कर रहा है. लेकिन देश में छोटे एवं सीमांत किसानों की संख्या अधिक है, खेती की लागत बढ़ती जा रही है व गुणवत्तापूर्ण उत्पादकता में बढ़ोतरी कृषि क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां हैं, जिन से निबटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को और अधिक शोध करने की आवश्यकता है.

यद्यपि, कृषि आदान जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक आदि उपलब्ध करवाने में निजी क्षेत्र का 50 फीसदी से भी अधिक योगदान है, लेकिन मानकों के अनुसार इन आदानों की गुणवत्ता पर निगरानी रखना सरकार की अहम जिम्मेदारी है. फसल उत्पादन के साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए समग्र सिफारिशें उपलब्ध करवाना कृषि विश्वविद्यालय की अहम भूमिका है, क्योंकि कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर ही किसान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इन्हें बेच कर अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं.

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