नई दिल्ली : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड यानी बीबीएसएसएल द्वारा “सहकारी क्षेत्र में उन्नत एवं पारंपरिक बीजोत्पादन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी” को संबोधित किया.
अमित शाह ने भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के लोगो, वैबसाइट और ब्रोशर का अनावरण किया और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के सदस्यों को सदस्यता प्रमाणपत्र भी वितरित किए.
इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता मंत्री बीएल वर्मा, सचिव, सहकारिता मंत्रालय और सचिव, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित थे.
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आज का दिन देश के सहकारिता आंदोलन, किसानों और अन्न उत्पादन के क्षेत्र में नई शुरुआत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड का बहुत बड़ा योगदान होगा. देश के हर किसान को आज वैज्ञानिक रूप से बनाया और तैयार किया गया बीज उपलब्ध नहीं है, इसीलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि इस विशाल देश के हर किसान के पास प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज पहुंचे और ये काम भी यही सहकारी समिति करेगी.
अमित शाह ने अपने अंदाज में यह भी कहा कि भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में से एक है, जहां कृषि की अधिकृत शुरुआत हुई और इसी कारण हमारे परंपरागत बीज गुण और शारीरिक पोषण के लिए सब से अधिक उपयुक्त हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत के परंपरागत बीजों का संरक्षण कर उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है, जिस से स्वास्थ्यपूर्ण अन्न, फल और सब्जियों का उत्पादन निरंतर होता रहे और यह काम भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड करेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे यहां उत्पादित होने वाले बीज कमोबेश विदेशी तरीकों से रिसर्च और विकसित कर के बनाए गए हैं, लेकिन हमारे कृषि वैज्ञानिकों को अगर एक अच्छा प्लेटफार्म मिले तो वे विश्व में सब से अधिक उत्पादन करने वाले बीज बना सकते हैं, और इस शोध और विकसित करने का काम भी भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड करेगी.
अमित शाह ने कहा कि विश्व में बीजों के निर्यात का बहुत बड़ा मार्केट है और इस में भारत का हिस्सा एक फीसदी से भी कम है. भारत जैसे विशाल और कृषि प्रधान देश को वैश्विक बीज मार्केट में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने का एक समयबद्ध लक्ष्य रखना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने इन पांचों उद्देश्यों के साथ भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना की है और कुछ ही सालों में यह समिति विश्व में अपना नाम बनाएगी और देश के किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने में बहुत बड़ा योगदान देगी.
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि 11 जनवरी, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना को मंजूरी दी, 25 जनवरी, 2023 को इस का पंजीकरण हुआ, 21 मार्च, 2023 को इस की अधिसूचना जारी हुई और अब प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी हम ने बहुत कम समय में कर लिया है.
उन्होंने कहा कि ये समिति कृषि, बागबानी, डेरी, मत्स्यपालन सहित हर प्रकार की समितियों की तरह पीएसीएस को बीज उत्पादन के साथ जोड़ने का काम करेगी. इस के माध्यम से हर किसान अपने खेत में बीज उत्पादन कर सकेगा, इस का सर्टिफिकेशन भी होगा और ब्रांडिंग के बाद न सिर्फ पूरे देश में, बल्कि विश्व में इस बीज को पहुंचाने में ये समिति योगदान देगी.
उन्होंने कहा कि इस बीज सहकारी समिति का पूरा मुनाफा सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा और यही सहकारिता का मूल मंत्र है. इस सहकारी समिति के माध्यम से बीजों की उच्च आनुवांशिक शुद्धता और भौतिक शुद्धता से बिना कोई समझौता किए इन्हें बरकरार रखा जाएगा और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की भी चिंता की जाएगी, इन तीनों बातों का संयोजन करते हुए उत्पादन बढ़ाना ही हमारा लक्ष्य है.
उन्होंने आगे कहा कि इस सहकारी समिति का लक्ष्य केवल मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि इस के माध्यम से हम विश्व की औसत पैदावार के साथ भारत की पैदावार को मैच करना चाहते हैं. इस के साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के अकुशल उत्पादन की जगह किसान को प्रशिक्षण दे कर वैज्ञानिक तरीके से बीजों के उत्पादन के साथ हम जोड़ने का काम करेंगे. आज भारत में ही बीजों की आवश्यकता लगभग 465 लाख क्विंटल है, जिस में से 165 लाख क्विंटल सरकारी व्यवस्था से उत्पादित होता है और कोआपरेटिव व्यवस्था से ये उत्पादन 1 फीसदी से भी नीचे है, हमें इस अनुपात को बदलना होगा.
अमित शाह ने कहा कि कोआपरेटिव के माध्यम से बीज उत्पादन के साथ जो किसान जुड़ेंगे, उन्हें बीज का मुनाफा सीधे मिलेगा.
उन्होंने कहा कि भारत के घरेलू बीज बाजार का वैश्विक बाजार में हिस्सा सिर्फ 4.5 फीसदी है, अभी इसे बढ़ाने की जरूरत है और इस के लिए बहुत काम करना होगा.
मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें इस भारतीय बीज सहकारी समिति के अगले 5 सालों के लक्ष्य तय करने होंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस बीज सहकारी समिति की स्थापना केवल मुनाफे और उत्पादन के लक्ष्य तय करने के लिए नहीं हुई है, बल्कि ये रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम भी करेगी, जिस से उत्पादन बढ़ेगा.
अमित शाह ने कहा कि बीज नैटवर्क में आईसीएआर, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, 48 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 726 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र और केंद्र व राज्यों की 72 सरकारी एजेंसियां जुड़ी हुई हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी किसी से कोई स्पर्धा नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य है कि मुनाफा किसान के पास पहुंचे, प्रमाणित बीजों का उत्पादन बढ़े और इन के निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़े.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि इन सभी संस्थाओं को साथ ले कर हम इस बीज कोआपरेटिव के काम को आगे बढ़ाएंगे और अपने लक्षित सीड रिप्लेसमेंट रेट के प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस संस्था के मूल में इफको, कृभको, नेफेड, एनडीडीबी और एनसीडीसी को जोड़ा गया है, जो एक प्रकार से किसान के खेत तक पहुंच रखती हैं. इन संस्थाओं के माध्यम से मल्टीफिकेशन बंद हो जाएगा और सभी सहकारी संस्थाएं एक ही दिशा में एक ही लक्ष्य के साथ एक ही रोड मैप पर काम करेंगी.
उन्होंने आगे कहा कि जब सभी संस्थाएं एक रोड मैप पर चलती हैं, तो स्वाभाविक रूप से गति बढ़ती है और इन के साथ मल्टीस्टेट कोआपरेटिव, राज्य स्तरीय सहकारी संस्थाएं, जिला स्तरीय सहकारी संस्थाएं और पीएसीएस भी जुड़ सकेंगे. इस तरह एक ऐसा खाका बनाया गया है, जिस में हर प्रकार की कोआपरेटिव इस का हिस्सा बन सकती है और उन का सहयोग इस बीज कोआपरेटिव को मिल सकेगा.
अमित शाह ने कहा कि सहकारी नैटवर्क के माध्यम से प्रोडक्शन, टैस्टिंग, सर्टिफिकेशन, परचेज, प्रोसैसिंग, स्टोरेज, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग और ऐक्सपोर्ट हम कर सकेंगे, क्योंकि अगर बीजों की प्रोडक्शन के बाद टैस्टिंग नहीं होगी, तो गुणवत्ता पर असर पड़ेगा. इसी प्रकार टैस्टिंग के बाद सर्टिफिकेशन नहीं होता है, तो विश्वसनीयता नहीं होगी. सर्टिफिकेशन के बाद प्रोसैसिंग, ब्रांडिंग और लेबलिंग नहीं होगी, तो उस के उचित दाम नहीं मिलेंगे. इस की उचित वैज्ञानिक तरीके से स्टोरेज से ले कर मार्केटिंग और फिर दुनिया के बाजार में भेजने तक की पूरी व्यवस्था कोआपरेटिव सैक्टर के माध्यम से ही की जाएगी. ये पूरी व्यवस्था विश्वस्तरीय और सब से आधुनिक होगी और हमारी कोआपरेटिव ने कर के दिखाया है.
अमित शाह ने कहा कि उत्पादन, गुणवत्ता, ब्रांडिंग, और मार्केटिंग के क्षेत्र में इन संस्थाओं के सफल अनुभव के माध्यम से बीज उत्पादन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और निर्यात के क्षेत्र में हम आगे बढ़ेंगे.
भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के साथसाथ देश को बीजोत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और बीजों के वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगी और इस का सब से बड़ा फायदा छोटे किसानों, महिलाओं और युवाओं को होगा.
उन्होंने कहा कि देश में क्राप पैटर्न चेंज करने के लिए भी अच्छे बीजों का उत्पादन बहुत जरूरी है और जब हम देश के लाखों किसानों को बीज उत्पादन के साथ जोड़ेंगे, तो वह गांव में आटोमेटेकली मार्केटिंग मैनेजर का काम करेगा.
अमित शाह ने कहा कि यह बीज सहकारी समिति लिमिटेड बहुत सारे उद्देश्यों को सिद्ध करेगी. हमारा एक बहुत बड़ा उद्देश्य यह भी है कि पारंपरिक बीजों का संरक्षण किया जाए, क्योंकि हमारे पास बीज की लाखों नस्लें हैं, लेकिन इन के बारे में पूरी जानकारी सरकारी विभागों को भी नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि लाखों गांव में हर किसान के पास परंपरागत बीज उपलब्ध हैं, इस का डेटा बनाना, संवर्धन करना, संवर्धित करना और इस का वैज्ञानिक एनालिसिस कर के इस के सकारात्मक पहलुओं का एक डेटा बैंक तैयार करना बहुत बड़ा काम है, जिसे भारत सरकार करेगी.
उन्होंने कहा कि हम ने इस में क्लाइमेट चेंज की चिंता को भी सामने रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इनीशिएटिव से श्रीअन्न (मिलेट्स) का जो बड़ा मार्केट आज विश्व में खड़ा हुआ है, इस के बीज भारत के अलावा बहुत कम देशों के पास हैं. रागी, बाजरा, ज्वार और कई अन्य मिलेट्स पर हमारी मोनोपली हो सकती है, अगर हमारी यह बीज कोआपरेटिव इस पर ध्यान दे.
देश की तीन प्रमुख सहकारी समितियों- इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड यानी इफको, कृषक भारती सहकारी लिमिटेड यानी कृभको और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और भारत सरकार के 2 प्रमुख वैधानिक निकाय- राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड यानी एनडीडीबी और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम यानी एनसीडीसी ने संयुक्त रूप से भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड को प्रमोट किया है.