उदयपुर : 31 जुलाई 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की तृतीय वर्षगाठ पर मिलेट्स के प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग एवं रोजगार के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक, आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डा. एसके शर्मा , अधिष्ठाता डा. मीनू श्रीवास्तव एवं विषय विशेषज्ञ प्रो. मुक्ता अग्रवाल उपस्थित थे.
इस अवसर पर कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने उद्बोधन में नई शिक्षा नीति को लागू करने की तृतीय वर्षगांठ एवं इस वर्ष को अंतराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाने के अवसर पर कहा कि मिलेट्स के प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग और मूल्य संवर्धित पदार्थों के विपणन में उद्यमितता और स्वरोजगार की अपार संभावनाएं निहित हैं.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) में व्यावसायिक शिक्षा स्कूली शिक्षा से ले कर उच्च शिक्षा तक शिक्षार्थियों को नौकरियों के लिए तैयार करेगी. व्यावसायिक प्रशिक्षण और कृषि शिक्षा में व्यावहारिक सत्र, उद्योग प्रदर्शन और इंटर्नशिप शामिल होंगे, यह शिक्षार्थियों को एक विशिष्ट व्यापार के लिए तैयार करेगा और उन के तकनीकी कौशल को उन्नत करेगा, जो रोजगार के लिए अनिवार्य है.
उन्होंने मिलेट्स को आहार में शामिल करने पर बल देते हुए कहा कि शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाने के लिए नियमित मिलेट खाना बहुत ही लाभदायक माना जाता है, क्योंकि इन में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व यानी मिलेट में न्यूट्रिशन पाए जाते हैं. ये मिलेट टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से बचाने में सहायक होते हैं. आजकल जो अनाज खाया जाता है, वह नकारात्मक अनाज (गेहूं, चावल) है. शरीर में फैट कम करने और वजन घटाने में मिलेट काफी सहायक होता है. बाजरे में अधिक मात्रा में फाइबर और ट्रिप्टोफैन (एमिनो एसिड) पाया जाता है. जब मुख्य भोजन में मिलेट का सेवन करते हैं, तो फाइबर और ट्रिप्टोफैन के कारण वह धीमी गति से पचता है. इस वजह से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिस से ज्यादा खाने से बच जाते हैं और मोटापा या वजन घटाने में मदद मिलती है. मिलेट में फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है.
आईसीएआर के एडीजी डा. एसके शर्मा ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था. यह 34 वर्षों के बाद भारत का सब से बड़ा शैक्षिक सुधार है. नई शुरू की गई शिक्षा नीति योजनाबद्ध और चरणबद्ध तरीके से भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की जगह लेगी. भारत को ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए यह नई शिक्षा नीति भारत सरकार की सब से बड़ी और चर्चित पहल है. इस नई शिक्षा नीति का दृष्टिकोण एक ऐसी शिक्षा प्रणाली प्रदान करना है, जो देश को स्थाई रूप से एक जीवंत ज्ञान समाज में बदल दे और सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सके. राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के मूलभूत स्तंभों पर बनी है. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है. प्रत्येक विषय में पाठ्यचर्या सामग्री को उस की मूल अनिवार्यता तक कम कर दिया जाएगा, और महत्वपूर्ण सोच और अधिक समग्र शिक्षा पर और ज्यादा जोर दिया जाएगा, जो पूछताछ आधारित, खोज आधारित, चर्चा आधारित और विश्लेषण आधारित शिक्षा होगी. छात्रों को अध्ययन के लिए अधिक लचीलापन और विषयों का विकल्प दिया जाएगा. छात्र अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों से विषयों के एक समूह का चयन करने में सक्षम होंगे, एक समूह में विज्ञान और मानविकी या वाणिज्य और मानविकी आदि के विषय हो सकते हैं. व्यावसायिक और पाठ्येतर गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा और छात्रों को इन सहपाठ्यचर्या में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
नई शिक्षा नीति के मुताबिक यूजी शिक्षा 3 या 4 साल की हो सकती है, जिस में कई निकास विकल्प और इस अवधि के भीतर उपयुक्त प्रमाणन होंगे. उदाहरण के लिए, 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 साल के बाद बैचलर डिगरी और 4 साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर डिगरी. युवाओं को विश्वस्तरीय शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षा में प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता से अपनाया जाएगा, इस के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच यानी एनईटीएफ एक स्वायत्त निकाय बनाया जाएगा, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारों के मुक्त आदानप्रदान के लिए एक समृद्ध मंच प्रदान करेगा, जो कि सीखने, मूल्यांकन, योजना, प्रशासन को बढ़ाने के लिए मददगार साबित होगा. छात्रों में लचीलापन और विषयों की पसंद में वृद्धि होगी. छात्र विभिन्न समूहों से विषयों का चयन कर सकते हैं. इस का अर्थ है कि कला के छात्र विज्ञान स्ट्रीम से भी विषय चुन सकते हैं. कला और विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, और व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच सामंजस्य रखा गया है.
विषय विशेषज्ञ प्रो. मुक्ता अग्रवाल ने बताया कि मिलेट्स के कई प्रकार के मूल्य संवर्धित भोज्य पदार्थ बनाए जा सकते हैं, जो कि सेहत के लिए लाभदायक होने के साथसाथ स्वरोजगार के लिए भी आय बढ़ाने का अच्छा स्रोत हो सकते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि मिलेट्स को प्रतिदिन आहार में सम्मिलित किया जा सकता है और विभिन्न त्योहारों व समारोहों में ही इन का उपयोग किया जा सके. मिलेट से शरीर में उत्पन्न होने वाली ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके. मिलेट्स में मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्राल लेवल को बढ़ने से रोकते हैं व ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मददगार होते हैं. इस के चलते हृदय से जुड़े रोगों से बचने में लाभ मिलता है और दिल स्वस्थ व मजबूत रहता है.
उन्होंने कहा कि मिलेट कैंसर से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं. इस मिलेट में एंटीऔक्सीडेंट्स तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं.