नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मोटे अनाज (श्री अन्न) पर आधारित व्यंजनों पर जोर के साथ विभिन्न अर्धसैनिक बलों और अन्य सरकारी कैंटीनों में सेवारत 200 से अधिक शेफ/ रसोइयों को आमंत्रित करते हुए एक 2 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागी रसोइयों को अपने संबंधित मेन्यू में सामान्य, लेकिन पौष्टिक मोटे अनाज पर आधारित वस्तुओं को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना और व्यापक आबादी के बीच मोटे अनाजों की खपत को बढ़ावा देना है. इस से प्रतिभागी विभिन्न प्रकार के मोटे अनाज पर आधारित व्यंजनों से परिचित हुए, जिन में सामान्य स्नैक्स से ले कर पौष्टिक भोजन तक शामिल हैं. साथ ही, उन्हें संबंधित कैंटीन में इसे शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिन के साथ वे काम करते हैं.
अपर सचिव फैज अहमद किदवई, अपर सचिव मनिंदर कौर द्विवेदी और संयुक्त सचिव (फसल), कृषि एवं किसान कल्याण विभाग शुभा ठाकुर ने अन्य अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया और प्रतिभागियों को अपने दैनिक आहार में मोटे अनाज अपनाने और उपभोक्ता, किसान और जलवायु के लाभ के लिए राष्ट्र की ‘मिलेट मूवमेंट’ में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारततिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, सशस्त्र सीमा बल और विभिन्न सरकारी कैंटीनों में काम करने वाले 200 से अधिक शेफ और रसोइयों के लिए इंस्टीट्यूट औफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम), पूसा में एक पाक कला प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया.
आईएचएम के प्राचार्य केके पंत ने सभागार में गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और अर्धसैनिक बलों की समग्र पोषण संबंधी मांगों को पूरा करने में मोटे अनाजों की भूमिका पर जोर दिया.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रत्येक दिन 100 से अधिक प्रतिभागियों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था. गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा सभी बलों के भोजन में मोटे अनाजों (श्री अन्न) को शामिल करने के उद्देश्य से लिए गए महत्वपूर्ण फैसले को देखते हुए, इस प्रशिक्षण सत्र से भारत के समग्र ‘मिलेट मूवमेंट’ को और गति मिलेगी. भोजन में 30 फीसदी मोटे अनाज शामिल करने का गृह मंत्रालय का फैसला अर्धसैनिक बलों के लिए पर्याप्त ऊर्जा वाले भोजन के विकल्प के रूप में मोटे अनाज को आगे बढ़ाने और उन की शारीरिक रूप से कठोर दिनचर्या में सहायता करने के उद्देश्य से लिया गया था.
बता दें कि मोटे अनाज को समग्र रूप से एक ‘सुपरफूड’ माना जाता है, जो फाइबर, खनिज, एंटीऔक्सिडैंट और मानव स्वास्थ्य के लिए दूसरे महत्वपूर्ण आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. अर्धसैनिक बलों के शेफ/ रसोइयों की भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि मोटे अनाज उन के आहार का एक नियमित, स्वस्थ और स्वादिष्ठ अंग के रूप में सामने आएं.
इस दौरान प्रतिभागियों ने बाजरा बिसी बेले भात, फौक्सटेल मिलेट पूरी, प्रोसो मिलेट कोफ्ता करी, ब्राउन टौप मिलेट पुलाव और रागी हलवा सहित कई दिलचस्प व्यंजनों के बारे में सीखा.
इस प्रशिक्षण में एफपीओ भी भाग ले रहे हैं, जिन्होंने मोटे अनाज पर आधारित विभिन्न रेडी टू कुक और रेडी टू ईट व्यंजनों के नमूने प्रदर्शित किए. इस से रसोई के अंग के रूप में मोटे अनाज के बहुमुखी उपयोगों और उन के तरीके सामने आएंगे, जिन्हें पाक कला में इस्तेमाल किया जा सकता है.
यह प्रशिक्षण उन कार्यक्रमों की चल रही श्रृंखला का एक हिस्सा है, जो कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के द्वारा मनाए जा रहे 2023 के अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष (आईवाईएम) के रूप में उत्सव से संबंधित है. मोटे अनाज पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ पनपते हैं, जिस से वे पारंपरिक फसलों के लिए एक विश्वसनीय ‘जलवायु अनुकूल’ विकल्प हैं. भारत द्वारा देश के भीतर मोटे अनाज को लोगों के नियमित आहार के साथ एकीकृत करते हुए इस की खपत को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है.