हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा पिछले दिनों तीनदिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक पर 2 प्रशिक्षण आयोजित किए गए. पहले प्रशिक्षण में मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्य के विभिन्न जिलों से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया. इन में कई महिलाएं भी शामिल थीं, जबकि दूसरे प्रशिक्षण में गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय, हिसार के विज्ञान संकाय के छात्रों ने हिस्सा लिया.
संस्थान के सहनिदेशक डा. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में आयोजित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम में मशरूम उत्पादन तकनीक के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को विस्तृत जानकारी दी गई. मशरूम के उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों को ही इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए मशरूम उत्पादन के लिए इन का इस्तेमाल होना स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक अच्छा विकल्प है.
प्रशिक्षण के संयोजक डा. सतीश मेहता ने बताया कि मशरूम उत्पादन को शुरू में एक व्यवसाय के रूप में छोटे स्तर पर शुरू किया जाना चाहिए.
इस प्रशिक्षण में पौध रोग विभाग के सहायक वैज्ञानिक डा. जगदीप सिंह ने सफेद बटन खुम्ब की छोटी और लंबी विधि से खाद तैयार करने, केसिंग तैयार करने की विधि इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला.
सब्जी विभाग के सहवैज्ञानिक डा. विकास कंबोज ने वातानुकूलित कक्ष में मशरूम उत्पादन और स्पेंट मशरूम खाद की विशेषताओं पर प्रकाश डाला. वहीं डा. राकेश कुमार चुघ ने ढींगरी, मिल्क और कीड़ा जड़ी/कोर्डीसैप मिलिटेरिस मशरूम को उगाने कि विधि के बारे में बताया. डा. अमोघवर्षा ने शिटाके मशरूम की उत्पादन तकनीक पर व्याख्यान दिया.
डा. संदीप भाकर ने बताया कि सफेद बटन खुम्ब उगाने पर लगभग 50 रुपए प्रति किलोग्राम लागत आती है और बाजार में लगभग 100 रुपए प्रति किलोग्राम इस का भाव मिल जाता है. प्रशिक्षणार्थियों का विश्वविद्यालय की मशरूम टैक्नोलौजी प्रयोगशाला का भ्रमण करवाया और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण जानकारियां दे कर उन का कौशल विकास किया.