उदयपुर : 2 मई, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत किसान परिवारों में कृषि मशीनरी को बढ़ावा देने व कृषि में श्रम साध्य साधनों के उपयोग पर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ पर किया गया. यह प्रशिक्षण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया.
प्रशिक्षण के आरंभ में निदेशक प्रसार शिक्षा एवं प्रोजैक्ट इंचार्ज डा. आरए कौशिक ने किसान महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए किसानों को जरूरत है सघन एवं सूक्ष्म अवधि वाली खेती की. इस के लिए उन्नत बीज, खाद एवं समय पर खेती के कामों को पूरा करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करना जरूरी हो गया है. इन के खेती में उपयोग से मानव श्रम काफी कम हो जाता है.
अनुसंधानों के आधार पर कहा जा सकता है कि कृषि यंत्रों के उपयोग से खेइत के कामों में लगने वाले श्रम व समय को 20-30 फीसदी तक कम हो जाता है. इस के अतिरिक्त उर्वरकों, बीजों व रसायनों पर होने वाले खर्च में भी तकरीबन 15-20 फीसदी की कमी आ जाती है.
प्रशिक्षण की मुख्य वक्ता डा. हेमु राठौड़, वैज्ञानिक एक्रिप ने किसान महिलाओं के श्रम व साध्य साधनों के उपयोग पर प्रकाश डाला. साथ ही, उन्नत दरांती, मक्का छीलक यंत्र, मूंगफली छीलक यंत्र, ट्रांसप्लांटर, वेजीटेबल पिकिंग बैग, सोलर हेट, उंगली में पहने जाने वाली सब्जी कटर आदि पर प्रशिक्षण दिया. साथ ही, महिलाओं द्वारा उन के सुरक्षित उपयोग को भी सुनिश्चित किया गया.
प्रशिक्षण में डा. लतिका व्यास ने खेती में महिलाओं के योगदान पर चर्चा की और बताया कि कृषि में खेती की तैयारी से भंडारण तक की 90 फीसदी क्रियाएं महिलाओं द्वारा की जाती हैं. इसी दिशा में कृषि को और भी समृद्ध बनाने के लिए किसान महिलाओं के लिए प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं.
डा. आरएल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, चित्तौड़गढ़ ने किसान महिलाओं को भूमि एवं मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों पर तकनीकी जानकारी दी.
प्रशिक्षण के दौरान आदर्श शर्मा, प्रोग्राम अफसर, डा. कुसुम शर्मा, डा. दीपा इंदौरिया, अभिलाषा, मदन गिरी व राजेश विश्नोई आदि ने भी विचार व्यक्त किए.