बेंगलुरु : भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन पशुपालन उत्कृष्टता केंद्र-सीईएएच, बेंगलुरु, भारतीय पशुपालन अकादमी और क्षेत्रीय चारा स्टेशन (आरएफएस), हिसार द्वारा “भारत में पशु चारा प्रबंधन में प्रगति (एएफएमआई-2024)” विषय पर पांचदिवसीय पहली राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम भारत सरकार के संयुक्त आयुक्त (राष्ट्रीय पशुधन मिशन) डा. एचआर खन्ना, सीईएएच के संयुक्त आयुक्त एवं निदेशक डा. महेश पीएस के मार्गदर्शन में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित किया गया.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. (डा.) बीआर कंबोज द्वारा किया गया. इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया इस तरह का यह पहला कार्यक्रम था. इस अवसर पर लुवास विश्वविद्यालय से पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. गुलशन नारंग, छात्र कल्याण निदेशक एवं संपदा अधिकारी डा. पवन कुमार व सीसीएसएचएयू के शोध निदेशक डा. राजबीर गर्ग भी उपस्थित रहे. इस के अलावा डा. एसके पाहुजा, एचआरएम निदेशक डा. रमेश कुमार, क्षेत्रीय चारा स्टेशन के निदेशक डा. पीपी सिंह व केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म, हिसार के निदेशक डा. रुंतु गोगोई भी शामिल हुए.
इस कार्यशाला में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय (लुवास) के 10 पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों सहित 14 राज्यों (महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड) के कुल 71 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व अन्य मंत्रालयों और चारे के क्षेत्र में काम करने वाले उद्योग के प्रख्यात वक्ताओं द्वारा अनुभव साझा किए गए.
विशेषज्ञों ने चारा उत्पादन के विभिन्न पहलुओं जैसे चारा उत्पादन का परिदृश्य, उपलब्धता और अंतर, चारा उत्पादन के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए आवश्यक पहल, चारे की उत्पादकता बढ़ाने के उपाय और विभिन्न प्रकार के चारा उत्पादों में प्रौद्योगिकी और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी.
चारा प्रबंधन के महत्व, फसलों में कीट प्रबंधन, चारा उत्पादन क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों से निबटने के तरीकों और चारा विकास पर भारत सरकार की गतिविधियों और कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई. एक्सीलेंट इंटरप्राइजेज प्रा. लिमिटेड, खन्ना (पंजाब), पुणे के मैसर्स भाग्यलक्ष्मी डेयरी, मैसर्स कोर्टेवा एग्रीसाइंस (हैदराबाद) और एडवांटा समूह (हैदराबाद) जैसे चारा उद्यमियों ने भी प्रतिभागियों के साथ अपने प्रौद्योगिकी को साझा किया.
भारत सरकार देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में स्थित 8 क्षेत्रीय चारा केंद्र (हिसार, श्रीनगर, धाम रोड (सूरत), हेसरघट्टा (बेंगलुरु), अलामाधी (चेन्नई), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), सूरतगढ़ (राजस्थान) और हैदराबाद) चला रही है, जहां उच्च गुणवत्ता वाले आधार/प्रमाणित बीज का उत्पादन हो रहा है.
इन स्टेशनों के सभी निदेशकों ने अपने स्टेशनों में किए जा रहे कार्यों को कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों के साथ विस्तार से साझा किया. इस अवसर पर लुवास के छात्र कल्याण निदेशक डा. पवन कुमार ने अपने विचार प्रतिभागियों से साझा करते हुए बताया कि डेयरी फार्मिंग में भारत में लोगों की आय, रोजगार, पोषण सुरक्षा और आजीविका बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं. किफायती डेयरी फार्मिंग में डेयरी पशुओं को हरा चारा खिलाने की महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत में विश्व में सब से अधिक मवेशी हैं, लेकिन प्रति पशु उत्पादकता कम है. राशन में गुणवत्तापूर्ण आहार और चारे की अनुपलब्धता इस के प्रमुख कारण हैं. डेयरी पशुओं की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और भोजन की लागत को कम करने के लिए राशन में हरे चारे का उचित उपयोग करना चाहिए, जिस से पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है और प्रजनन व दूध उत्पादन में भी मदद करते हैं.
प्रतिभागियों को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारत सरकार के विभिन्न संगठनों में चल रही क्षेत्रीय गतिविधियों को जाननेसमझने का अवसर भी मिला. क्षेत्रीय चारा स्टेशन, हिसार का दौरा प्रतिभागियों के लिए बहुत ही उत्साहजनक था.
समापन समारोह के अवसर पर लुवास के छात्र कल्याण निदेशक और संपदा अधिकारी डा. पवन कुमार व कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा उपस्थित थे. संयुक्त आयुक्त और निदेशक, सीईएएच,बेंगलुरु डा. महेश पीएस व निदेशक, क्षेत्रीय चारा स्टेशन डा. पीपी सिंह, हिसार व निदेशक क्षेत्रीय चारा स्टेशन, चेन्नई डा. अजय कुमार यादव द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला के आयोजन पर संतोष व्यक्त किया और सरकार से उन के ज्ञान और लाभ के लिए ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया.