नई दिल्ली: 21 दिसंबर 2023. केंद्रीय जनजातीय कार्य और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित “आदि- व्याख्यान” सीरीज-2 के दोदिवसीय कार्यक्रम का आज दिल्ली में शुभारंभ किया. यह जनजातीय पहचान व हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता में जनजातीय योगदान का पता लगाने की एक पहल है.
कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी परंपरा व संस्कृति की जटिलताओं को गहराई से समझना और उन के अस्तित्व की चुनौतियों का पता लगाना है.
शुभारंभ सत्र में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी पहचान, उन के संवर्धन, संरक्षण पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आदिवासी पहचान को बनाए रखने के लिए आदिवासी भाषा और साहित्य महत्वपूर्ण हैं. आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए उन्होंने विशेष रूप से पीवीटीजी हेतु अत्यधिक महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला.
उन्होंने वन अधिकार अधिनियम (1986), पीईएसए (1996), एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम (1989) पर चर्चा को आगे बढ़ाने व आदिवासियों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए “राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान” जैसे अनुसंधान संस्थानों की आवश्यकता के लिए “आदि-व्याख्यान” कार्यक्रम की सराहना की.
उन्होंने जनजातीय लोगों को संविधान में निहित संवैधानिक सुरक्षाओं से अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया और आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए अतीत, वर्तमान व भविष्य पर पुनर्विचार की आवश्यकता को स्वीकार किया.
प्रो. नूपुर तिवारी, निदेशक, एनटीआरआई, नई दिल्ली ने ओरिएंटेशन कार्यक्रम की रूपरेखा पेश करते हुए कहा कि आदि मंथन भारत में आदिवासी समुदायों के साथ चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है.
इटवा मुंडा, अध्यक्ष, भारत मुंडा समाज ने देश की विभिन्न जनजातियों के बीच सहयोग व समझ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला एवं आदिवासी संस्कृति व विरासत के संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से आदिवासियों की भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी और उन्हें भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी.
रूप लक्ष्मी मुंडा, उपाध्यक्ष, भारत मुंडा समाज ने आदिवासी महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विचार रखे.
उन्होंने आदिवासी समाज में महिलाओं की प्रगति और उन की चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन के लिए आदि मंथन चर्चा आदिवासी महिलाओं की मुक्ति के लिए एक मंच के रूप में मदद कर सकती है.
ओरिएंटेशन कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत जनजातीय विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन करेगा.
इस के अलावा राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के नेतृत्व में कला निधि और जनजातीय संग्रहालय का दौरा भी होगा, जो हमारी जनजातीय विरासत की सांस्कृतिक समृद्धि की एक ठोस झलक पेश करेगा. उद्घाटन कार्यक्रम में 5 राज्यों (छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम) के मुंडा समुदायों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.