उदयपुर : 24 मई, 2023.
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं पशुपालन विभाग, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में स्मार्ट गांव मदार एवं ब्राह्मणों की हुंदर में एकदिवसीय पशुधन स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन कुलपति डा. अजीत कुमार कनार्टक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के मुख्य आतिथ्य में किया गया.

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि स्मार्ट विलेज मदार एवं ब्राम्हणों की हुंदर में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए सफल कार्याें को देखते हुये राज्यपाल द्वारा प्रशंसापत्र प्रदान किया गया.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन कृषि प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को अपनाने की अपील की.

इस अवसर पर उन्होंने लंपी वायरस के नियंत्रण के लिए टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया और 98 पशुपालकों को मिनरल मिक्चर वितरित किया.

कार्यक्रम के आरंभ में निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. आरए कौशिक ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि स्मार्ट गांव मदार एवं ब्राम्हणों की हुंदर को राज्यपाल द्वारा एक वर्ष की अवधि और बढ़ा दी गई, ताकि गांव का सर्वांगीण विकास हो सके.

डा. शक्ति सिंह, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, उदयपुर ने बताया कि ग्रीष्मकाल में पशुओं को कैसे सुरक्षित रखा जाए एवं उन्हें किस प्रकार से उचित वातावरण उपलब्ध कराया जाए, ताकि पशुओं के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखा जा सके.

उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकाल में पशुओं में होने वाले रोगों के लिए उचित टीकाकरण करवाना अनिवार्य है.

उन्होंने यह भी बताया कि गत वर्ष भी लंपी वायरस पर नियंत्रण किया गया था. इस वर्ष भी इस रोग से बचाव के लिए विभाग द्वारा घरघर जा कर पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है.

डा. ओपी साहु, पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, उदयपुर ने बताया कि इन पशुओं में होने वाले बाह्य एवं आंतरिक परजीवियों को नियंत्रण करने के लिए संक्षिप्त जानकारी दी.

शिविर में डा. पी. भटनागर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बड़गांव ने बताया कि पशुओं के बांझपन का उपचार किए जाने की जरूरत है व इस समस्या के निदान के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा परियोजना चलाई जा रही है.

डा. सिद्धार्थ मिश्रा, विभागाध्यक्ष, पशु उत्पादन विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने पशु प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बकरियों की नस्ल सुधार के लिए सिरोही नस्ल के बकरे वितरित किया जाना प्रस्तावित है, ताकि नस्लों में सुधार कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके.

डा. दत्रादेय, पशु चिकित्सक, बड़गांव, उदयपुर ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए पशुओं में होने वाले रोगों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. साथ ही, पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए उचित दिशानिर्देश भी दिए.

उन्होंने आगे बताया कि शिविर में 320 बड़े पशुओं का उपचार किया गया एवं 148 छोटे पशुओं को कृमिनाशी दवा पिलाई गई, जिस से 215 पशुपालकों को लाभान्वित किया गया.

डा. आरएस राठौड़, स्मार्ट विलेज समन्वयक, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर ने कार्यक्रम का संचालन किया. अंत में वहां उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया.

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