गया : कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गया के नवनिर्मित प्रशिक्षण भवन में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत मगध प्रमंडल में कृषि विविधीकरण की संभावना विषय पर कार्यशाला व सहसंगोष्ठी कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि व सहउद्घाटनकर्ता कुमार सर्वजीत, कृषि मंत्री, बिहार सरकार द्वारा एवं कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की उपस्थिति में किया गया.

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री, बिहार ने अपने संबोधन में गया जिला में फसल विविधीकरण की संभावना को देखते हुए मोटे अनाज चीना, मड़ुआ, रागी, कोदो आदि की खेती परंपरागत खेती से हट कर करने का आह्वान किया.

इस कड़ी में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र पर मोटे अनाज के बीज उत्पादन करने की सलाह दी, जिस से किसानों को आसानी से मोटे अनाज के बीज उपलब्ध हो सकें. इस दिशा में जिले में भी काम करना प्रारंभ कर दिया है. उन के प्रयास से गया जिले में तिल की खेती की शुरुआत हो चुकी है, जिस का अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है.

बिहार के गरीब किसानों को आसानी से सभी सुविधा मिल सके, इस के लिए छोटे कृषि यंत्रों को भी योजना में शामिल किया गया है.

Jalvayu

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि गया जिले में मोटे अनाज और शुष्क क्षेत्रों के लिए उद्यानिक फसलों की काफी संभावना है. इस के लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र पर उन्नत प्रभेद के कटहल, जामुन, आंवला, बेर एवं बेल की मातृ पौधशाला लगाने का निर्देश दिया, जिस से इन फसलों को गया प्रमंडल में बढ़ावा दिया जा सके.

इस अवसर पर तकरीबन 500 से अधिक किसानों ने भाग लिया. मौके पर डा. आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, संयुक्त निदेशक कृषि मगध प्रमंडल सुधीर कुमार, डा. अभय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआर, पटना; डा. अमरेंद्र कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, अटारी जोन-4, पटना एवं डा. आरके जाट, वरीय सस्यविद, बीसा, पूसा (समस्तीपुर) ने मगध प्रमंडल में कृषि विविधीकरण की संभावना पर अपनेअपने अनुभव एवं विचार किसानों के बीच व्यक्त किए.

इस अवसर पर केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान ई. मनोज कुमार राय ने सभी अतिथियों, पदाधिकारियों, किसानों का धन्यवाद ज्ञापन किया.

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