गुवाहाटी: असम के कृषि विभाग द्वारा भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) के सहयोग से आयोजित सतत तेल पाम खेती पर दोदिवसीय राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा और कार्यशाला गुवाहाटी में संपन्न हुई. इस कार्यक्रम में सरकारी निकायों, निजी कंपनियों, किसानों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हितधारकों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का आदानप्रदान करने और भारत में सतत तेल पाम खेती को आगे बढ़ाने के लिए एकसाथ लाया गया.

कार्यशाला की अगुआई में, किसानों और तेल पाम उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिस में तेल पाम उद्योग की चुनौतियों पर चर्चा की और सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचारविमर्श किया गया. देश के विभिन्न हिस्सों से तेल पाम किसानों के साथसाथ उद्योग के प्रतिनिधियों ने संवाद सत्र में भाग लिया. इस के बाद राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ खाद्य तेल, तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) पर राष्ट्रीय मिशन के कार्यान्वयन में बाधाओं की पहचान करने के लिए राज्य के प्रदर्शन की भौतिक और वित्तीय समीक्षा की गई, जिस से कार्यान्वयन दक्षता में सुधार के लिए भविष्य की कार्रवाई को आकार देने में मदद मिली.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए टिकाऊ तेल पाम की खेती के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया और किसानों को सरकार के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने असम की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि असम पूरे पूर्वोत्तर और देश में टिकाऊ तेल पाम क्षेत्र को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

भारत सरकार के डीए एंड एफडब्ल्यू के सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के राष्ट्रीय उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पाम औयल की खेती के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी हितधारकों से यह सुनिश्चित करने के लिए एकसाथ आने को कहा कि घरेलू स्तर पर उत्पादित पाम औयल का हिस्सा अगले 5-6 वर्षों में मौजूदा 2 फीसदी से बढ़ कर 20 फीसदी हो जाए.

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