नई दिल्ली :  मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने पिछले दिनों 26 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय कार्यशाला के साथ विश्व पशु चिकित्सा दिवस 2025 मनाया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी और पंचायती राज मंत्री एसपी सिंह बघेल ने किया, जिन्होंने पशु चिकित्सा समुदाय को “ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय जैव सुरक्षा की रीढ़” बताया.

उन्होंने आगे कहा, कि भारत में 536 मिलियन से अधिक पशुधन हैं, जो दुनिया में सब से अधिक हैं. लगभग 70  फीसदी  ग्रामीण परिवार आय, भोजन और सुरक्षा के लिए पशुओं पर निर्भर हैं. फिर भी, जो लोग सुनिश्चित करते हैं कि ये जानवर स्वस्थ रहें, वे शायद ही कभी सुर्खियों में आते हैं.

मंत्री एसपी सिंह बघेल ने आगे कहा, “स्वस्थ पशुओं के बिना स्वस्थ भारत नहीं है”. पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, कौशल विकास को बढ़ाने और भारत की पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया.

इस साल की थीम “पशु स्वास्थ्य के लिए एक टीम की आवश्यकता होती है” पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एकीकृत पशु, मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए पशु चिकित्सकों, पैरापशु चिकित्सा कर्मचारियों, वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच सहयोगी प्रयासों को बढ़ाना होगा.

मंत्री एसपी सिंह बघेल ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम जैसी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला, जिस का उद्देश्य 2030 तक खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) रोग को खत्म करना है.

उन्होंने आगे बताया कि देश में अब तक 114.56 करोड़ से अधिक एफएमडी टीके और 4.57 करोड़ ब्रुसेलोसिस टीके लगाए जा चुके हैं. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का लक्ष्य 2025 तक एफएमडी को नियंत्रित करना और टीकाकरण के माध्यम से 2030 तक इसे खत्म करना है.

मंत्री एसपी सिंह बघेल ने देश के पशुपालन क्षेत्र को मजबूत करने में पशुधन की देशी नस्लों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दे कर कहा कि ये नस्लें न केवल स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं, बल्कि टिकाऊ और लचीली पशुधन उत्पादन प्रणाली सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाती हैं. इस के साथ ही, उन्होंने उन्नत प्रजनन तकनीकों को अपनाने के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से सैक्स सौर्टेड वीर्य का उपयोग, उत्पादकता और नस्ल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के सौ फीसदी  उपयोग को प्राप्त करने का लक्ष्य.

मंत्री एसपी सिंह बघेल ने ट्रैसबिलिटी और रोग निगरानी के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (भारत पशुधन) जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों के उपयोग की तारीफ की. जूनोटिक रोगों के बढ़ते खतरे को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत के वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया.

राष्ट्रीय कार्यशाला में वर्चुअली शामिल होते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव अलका उपाध्याय ने भारत के पशु चिकित्सा पारिस्थितिकी तंत्र के व्यापक सुधार का आह्वान किया. विश्व पशु चिकित्सा दिवस, 2025 के कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पशु चिकित्सकों ने पशुधन उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिस से भारत विश्व स्तर पर सब से बड़ा डेयरी उत्पादक, टेबल अंडा उत्पादन में दूसरा और चौथा सब से बड़ा मांस उत्पादक बन गया है. साथ ही, भारत आईवीएफ, सैक्स सौर्टेड वीर्य, ​​​​मवेशी टीकाकरण और डेयरी उपकरण निर्माण जैसी उन्नत तकनीकों में आत्मनिर्भर बन गया है.

पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने देशभर में पशु चिकित्सा पेशेवरों की कमी पर भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने पशु चिकित्सा शिक्षा सीटों में वृद्धि, पशु चिकित्सा कालेजों में अत्याधुनिक सुविधाओं की स्थापना और छात्रों को सर्जरी और पशुधन चिकित्सा देखभाल में व्यावहारिक विशेषज्ञता प्रदान करने वाले पाठ्यक्रम का आग्रह किया और जूनोटिक बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए अलका उपाध्याय ने राज्यों में एक मजबूत निगरानी प्रणाली, समन्वित टीकाकरण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “पशु चिकित्सक राष्ट्रीय जैव सुरक्षा सुनिश्चित करने में रक्षा की पहली पंक्ति है.”

रोम से वर्चुअल माध्यम से शामिल होते हुए खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के सहायक महानिदेशक और मुख्य पशुचिकित्सक डा. थानावत तिएनसिन ने वैश्विक वन हेल्थ प्रयासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और पशु स्वास्थ्य तैयारी के लिए महामारी कोष के तहत देश को हाल ही में मिली मान्यता की प्रशंसा की.

पशुपालन आयुक्त और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष डा. अभिजीत मित्रा ने सामूहिक टीकाकरण अभियान, बीमारी का जल्द पता लगाने और पशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के उपयोग में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला.

उन्होंने खाद्य प्रणालियों के अदृश्य रक्षक और भविष्य की महामारियों के खिलाफ महत्वपूर्ण रक्षक के रूप में पशु चिकित्सकों की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने पशु कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण संबंध की ओर ध्यान आकर्षित किया और जोर दे कर कहा कि पशु कल्याण केवल करुणा का कार्य नहीं है, बल्कि खाद्य सुरक्षा और स्वस्थ पशुधन सुनिश्चित करने के लिए एक बुनियादी स्तंभ है.

विश्व पशु चिकित्सा दिवस 2025 का इस साल का वैश्विक विषय “पशु स्वास्थ्य एक टीम लेता है” है, जो इस विचार को रेखांकित करता है कि पशु स्वास्थ्य एक एकल मिशन नहीं है, बल्कि यह पशु चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और किसानों को शामिल करने वाला एक सामूहिक राष्ट्रीय प्रयास है. इस कार्यक्रम ने पशु स्वास्थ्य की रक्षा में सहयोग की शक्ति पर प्रकाश डाला, यह पहचानते हुए कि पशु चिकित्सक, वैज्ञानिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और किसान एक मजबूत नेटवर्क बनाते हैं, जो न केवल पशुधन, बल्कि राष्ट्र के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा करता है.

इस कार्यशाला में पशुपालन में जेनेरिक दवाओं के उपयोग से पहुंच और सामर्थ्य में सुधार, एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के जूनोटिक संचरण को रोकने में पशु चिकित्सक की भूमिका, एकीकृत रोग निगरानी को मजबूत करना और मानव और पशु स्वास्थ्य क्षेत्रों के बीच डेटा साझाकरण के साथसाथ एक आकर्षक औनलाइन राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी पर उच्च प्रभाव वाले तकनीकी सत्र शामिल थे.

इस कार्यक्रम में पशुपालन और डेयरी विभाग की अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी व अतिरिक्त सचिव डा. रमाशंकर सिन्हा के साथसाथ आईसीएआर, राष्ट्रीय पशु चिकित्सा परिषदों, एफएओ, डब्ल्यूओएएच, डब्ल्यूएचओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और राष्ट्रीय शोध संस्थानों के निदेशक और कई पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों और हितधारकों ने भाग लिया.

इस कार्यक्रम में 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और पूरे भारत में इस का सीधा प्रसारण किया गया.

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