हमारे देश में फलों की व्यावसायिक लैवल पर की जाने वाली बागबानी में आम का सब से अहम स्थान है. बीते 2 दशकों में देश में आम की कई ऐसी नवीन किस्में विकसित हुई हैं, जो अपने रंग, रूप, वजन, आकार के साथ ही अद्वितीय स्वाद के मामले में व्यावसायिक रूप से काफी लोकप्रिय हुई हैं. इन किस्मों की मांग बाजार में अच्छी होने के चलते बागबानों के लिए इन की खेती किया जाना ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है.

जो किसान आम की व्यावसायिक लैवल पर बागबानी करते हैं, उन की यह शिकायत रहती है कि आम के पौधों की रोपाई के बाद शुरुआती कुछ सालों तक आम की फलत और साइज अच्छा मिलता है, लेकिन जैसेजैसे आम के पौधे पेड़ के रूप में बड़े होने लगते हैं, आम की फलत घटने के साथ ही फलों का साइज और गुणवत्ता भी घट जाती है.

ऐसे में आम के बाग (Mango Orchid) से अधिक उत्पादन और अच्छी गुणवत्तायुक्त फलत के लिए जरूरी हो जाता है कि पौध रोपण के समय ही पौधों के छत्रक प्रबंधन या कैनोपी प्रबंधन सुनिश्चित करने के साथ जब आम के पेड़ 15 से 20 साल पुराने हो जाएं, तो बाग के जीर्णोद्धार के लिए उन की काटछांट यानी प्रूनिंग जरूर की जाए. इस से न केवल आम के पुराने बागों से उत्पादन अधिक लिया जा सकेगा, बल्कि फलों की गुणवत्ता भी अच्छी मिलती है.

आम के पौध रोपण के बाद पौधों के छत्रक प्रबंधन या कैनोपी प्रबंधन के अलावा पुराने बाग में आम के पेड़ों की पू्रनिंग क्यों जरूरी है और वैज्ञानिक ढंग से काटछांट कैसे करें, इस मसले पर बस्ती जनपद में उद्यान महकमे कें वरिष्ठ अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह यादव, संयुक्त निदेशक, उद्यान से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, खास अंश :

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...