दुनियाभर में खाद्य तेलों का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ता जा रहा है. भारत में सरसों के तेल का खाद्य तेलों में खास स्थान है. ऐसे में सरसों से तेल निकालने की यूनिट लगा कर आप भी अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं.

तेल मिल शुरू करने के लिए जरूरी नहीं है कि आप बड़ी यूनिट ही लगाएं, बल्कि आप छोटी मिनी तेल मिल लगा कर भी काम शुरू कर सकते हैं. यह काम आप अपने घर में भी शुरू कर सकते हैं.

इस के लिए सब से पहले जरूरी है कच्चे माल की जानकारी होना कि कच्चा माल कहां से, कैसे खरीदा जाए. सरसों का तेल निकालने के लिए सब से पहले सरसों की ही जरूरत पड़ती है.

सरसों के 100 किलोग्राम दानों से तकरीबन 30 से 35 किलोग्राम तेल मिलता है. बाकी अवशेष को खली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिसे पशुओं को खिलाया जाता है.

सरसों एक मौसमी रबी फसल है, जो साल में केवल एक बार ही पैदा होती है, इसलिए अगर आप के पास जगह मौजूद है, तो कोशिश करें कि सीजन के दौरान ही ज्यादा से ज्यादा सरसों खरीद कर रख लें,क्योंकि सीजन के दौरान सरसों की कीमत कम होती है, वरना आप को बाद में दूसरे शहर या राज्य से भी सरसों खरीदनी पड़ सकती है, जिस से उस के लाने और ले जाने का खर्च बढ़ेगा और बेमौसम खरीदने पर माल महंगा भी मिलेगा.

सरसों का भंडारण एकदम सूखी जगह पर करें. वहां नमी न हो वरना सरसों खराब हो सकती है. खुद का कारोबार शुरू करने के लिए सरकार की अनेक योजनाएं हैं, जिन के तहत आप को लघु उद्योग इकाई लगाने के लिए लोन भी मिल सकता है. भारत सरकार की मुद्रा योजना के तहत भी लोन के लिए आवेदन किया जा सकता है, जिस से 10 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है. इसलिए अपनी जरूरत के मुताबिक आप सरसों तेल एक्सपेलर खरीद कर अपनी तेल इकाई लगा कर कारोबार शुरू कर सकते हैं.

इसी सिलसिले में एक कृषि मेले में ‘फार्म एन फूड’ के इस प्रतिनिधि की बात मुकेश गोयल से हुई, जिन्होंने मुकेश गिनिंग मिल के नाम से मंडी आदमपुर, हिसार, हरियाणा में अपनी तेल निकालने की इकाई लगा रखी है. पीला घोड़ा के नाम से वे सरसों के तेल का उत्पादन कर रहे हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

आप इस कारोबार से कब जुड़े और इस काम की शुरुआत कैसे की?

इस काम की शुरुआत साल 2007 में मेरे पिता और मैं ने मिल कर की थी. इस से पहले हम कपास के क्षेत्र में काम करते थे. हम ने उस समय कौटन मिल लगा रखी थी, लेकिन खास मुनाफा न होने के कारण हम ने उस काम को बंद कर के सरसों का तेल निकालने का काम शुरू किया. इस काम की शुरुआत करने के लिए उस समय तकरीबन 30 से 35 लाख रुपए खर्च हुए थे. कुछ खेती की जमीन भी हमारे पास थी, जिस का फायदा हमें मिला.

बेहतर तरीके से काम शुरू करने के लिए कम से कम कितने एक्सपेलर लगाने पड़ते हैं?

1 एक्सपेलर का खर्च तकरीबन साढ़े 4 लाख रुपए आता है और 4 एक्सपेलर लगा कर इस काम की शुरुआत कर सकते हैं.

इस काम को करने के लिए कितने लोगों की जरूरत होती है?

ज्यादा लोगों की तो नहीं, हां 2-3 लोग इस काम के लिए जरूरी होते हैं, जो रोजाना तकरीबन 12 घंटे काम करते हैं.

आज हर तरफ खाद्य तेलों में मिलावट का जोर है. इस बारे में आप क्या कहेंगे?

जी हां, आज के समय में मिलावट बड़ी समस्या है. शुद्ध उत्पाद होगा तो जाहिर है कि कीमत भी ज्यादा होगी. आज हमें 100 दुकानदारों में से 10 दुकानदार ही ऐसे मिलते हैं जो कहते हैं कि हमें शुद्ध माल चाहिए वरना ज्यादातर लोगों को तो सस्ता माल ही चाहिए भले ही वह मिलावटी हो. लेकिन हमें बाजार में अपनी साख बनाए रखने के लिए अपने उत्पाद की गुणवत्ता का खास खयाल रखना होगा, तभी आप सफल उद्योगपति साबित हो सकते हैं.

सरसों के 2 तरह के तेल आ रहे हैं, एक कच्ची घानी का दूसरा एक्सपेलर का. कौन सा तेल सेहत के लिए सही है?

खाने में इस्तेमाल करने के लिए कच्ची घानी का तेल बेहतर होता है. इस के लिए हम ने भी अपनी यूनिट में बदलाव किया है. एक्सपेलर की जगह अब कोल्हू लगाए गए हैं, क्योंकि अब लोगों की डिमांड कच्ची धानी का तेल है.

कच्ची घानी और पक्की घानी का क्या मतलब है?

देखिए, कच्ची घानी में तेल कोल्हू के जरीए निकाला जाता है, जो हमारा पुराना तरीका था, जिस ने अब आधुनिक कोल्हू का रूप ले लिया है. हां, कोल्हू के जरीए तेल धीरेधीरे निकलता है. पक्की घानी तरीके यानी एक्सपेलर से तेल जल्दी निकलता है. इस तरीके में तेल गरम हो जाता है. कोल्हू से तेल धीरेधीरे निकलता है, इसलिए वह ठंडा रहता है और एक्सपेलर वाले तरीके से निकाले गए तेल से ज्यादा अच्छा होता है.

सरसों के तेल (Mustard Oil)

आधुनिक कोल्हू के बारे में कुछ जानकारी दें?

जैसे पुराने समय में लकड़ी का कोल्हू होता था, तरीका अब भी वही है. हां अब थोड़ा आधुनिक हो गया है. कोल्हू वैसा ही होता है. लकड़ी को पहले बैलों द्वारा चलाया जाता था अब बैलों की जगह बिजली की मोटर से कोल्हू चलाए जाते हैं.

एक खास बात और कि कोल्हू में एक बार में सिर्फ 22 किलोग्राम सरसों ही डाली जाती है, जिस का तेल निकालने में 1  घंटे का समय लगता है. हां, तेल की वैराइटी बढि़या होती है.

यह तेल पौष्टिक होता है और हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है. इसी को देखते हुए हम ने अपनी यूनिट में 48 कोल्हू लगवा रखे हैं, ताकि उत्पादन समय से और अच्छा मिल सके. एक्सपेलर में एक बार में 5 क्विंटल सरसों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

क्या दोनों तरीकों से निकाले गए तेल की कीमत में भी फर्क होता है?

हां, कुछ कंपनियां इस का फायदा उठाती हैं. वे 15 रुपए प्रति किलोग्राम तक की दर से तेल की कीमत में फर्क कर देती हैं. हम अपने उत्पादों में करीब 5 रुपए प्रति किलोग्राम का ही फर्क रखते हैं.

आप 1 दिन में कितने तेल का उत्पादन करते हैं?

हम 1 दिन में तकरीबन 4 टन तेल का उत्पादन कर लेतेहैं.

आप किसानों को बताएं कि वे सरसों की कौन सी वैराइटी खरीदें, जिस से उन्हें अच्छी आमदनी हो सके?

आजकल हाइब्रिड सरसों चल रही है, उस में तेल की मात्रा ज्यादा होती है. मुनाफे की नजर से यह ठीक भी है. वैसे हम जब भी सरसों खरीदते हैं, तो उस का वजन देख कर ही खरीदते हैं. सरसों में अगर भारीपन होगा तो जाहिर है कि तेल की मात्रा भी ज्यादा ही होगी.

आप सरसों कहां से लेते हैं? सीधे किसानों से लेते हैं या कृषि मंडी से लेते हैं?

हम सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर ही मंडी से सरसों खरीदते हैं. यह पूरे साल मंडी में मौजूद होती है, क्योंकि किसान समयसमय पर मंडी में आ कर अपने अनाज और सरसों बेचते ही हैं.

आज बाजार में कंपीटिशन का दौर है. आप इस में खुद को कहां खड़ा पाते हैं?

देखिए, मैं किसी से कंपीटिशन नहीं करता. मेरा ध्यान केवल अपने उत्पाद की शुद्धता पर है. आज बाजार में 20 फीसदी माल ही शुद्ध मिल रहा है. 80 फीसदी मिलावटी माल बाजार में है. मैं अपनेआप को 20 फीसदी वाली कैटेगरी में रखना चाहता हूं.

बाजार में सरसों का तेल कब ज्यादा शुद्ध मिलता है, फसल सीजन के समय या बिना सीजन के?

देखिए, सीजन के समय तेल की गुणवत्ता में फर्क होता है. उस समय सरसों ताजी आई होती है, उस में नमी होती है इसलिए तेल में कच्चापन और हरापन होता है. सीजन निकलने के कुछ महीने बाद सरसों की नमी खत्म हो जाती है, इस से सरसों के तेल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है. इसलिए घरेलू इस्तेमाल के लिए अगर इकट्ठा तेल खरीदना हो, तो सरसों की फसल का सीजन निकलने के कुछ समय बाद ही खरीदें,क्योंकि उस समय तक सरसों अच्छी तरह सूख जातीहै, जिस से में शुद्ध व पौष्टिक तेल निकलता है.

आप अपने प्रचार के लिए भी कोई जरीया अपनाते हैं?

इस में मुझे मंडी का काफी सहयोग रहता है. मैं मंडी से हमेशा अच्छा माल खरीदता हूं, जिस से आसपास के लोग मुझे जानतेहैं और हमारे उत्पाद पर भरोसा करते हैं.

कोई इस काम की शुरुआत छोटे स्तर से करना चाहे तो उस के लिए आप कुछ बताना चाहेंगे? कितनी रकम से यह काम शुरू किया जा सकता है? कहां से मशीनें खरीदें?

छोटी मशीनें लगा कर 3 से 4 लाख रुपए से इस काम की शुरुआत की जा सकती है. जैसेजैसे मांग बढ़ती जाए मशीनें बढ़ा दें. मशीनें पंजाब के लुधियान से खरीदी जा सकती हैं. मशीन बनाने वाली कंपनियां मशीन के बारे में जानकारी देने के अलावा उस से जुड़े कारीगरों की भी जानकारी देती हैं.

अगर आप भी खुद का रोजगार शुरू करना चाहते हैं या इस संबंध में अन्य जानकारी लेना चाहते हैं, तो मुकेश गोयल से उन के मोबाइल नंबर 09354966007 पर बात कर सकते हैं.

कैसे करें मिलावटी तेल की पहचान

*             सरसों का तेल यदि फ्रिज में रखने पर जमने लगे तो समझो कि उस में मिलावट है.

*             सरसों के तेल को हाथ पर रगड़ कर देखें. अगर वह हाथों पर रंग छोड़ने लगे तो मिलावट है, क्योंकि तेल में रंग और खुशबू के लिए रसायन मिलाए जाते हैं.

*             1 चम्मच सरसों के तेल में 5 मिलीलीटर नाइट्रिक एसिड डाल कर हिलाएं. अगर तेल रंग बदलता है, तो उस में सत्यानाशी के तेल की मिलावट हो सकती है.

*             सरसों के तेल में मिलावट करने के लिए काफी आयल, अरंडी का तेल, सत्यानाशी का तेल, पाम आयल और सोयाबीन का तेल वगैरह के अलावा अनेक तरह के रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं.

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