25 दिसंबर, 2023 को मध्य प्रदेश में भाजपा की डा. मोहन यादव सरकार में गौतम टेंटवाल को जब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था, तब न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि देशभर के कृषि विज्ञान के छात्रों में खुशी और रोमांच का माहौल था, क्योंकि ऐसा बहुत कम होता है कि कृषि विज्ञान के छात्र सक्रिय राजनीति में आ कर अपना कैरियर बनाएं और मंत्री पद तक पहुंचें. लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ था, बल्कि इस के पीछे गौतम टेंटवाल की अथक मेहनत,  लगन, समर्पण और प्रतिभा का भी योगदान था.

आरएके एग्रीकल्चर कालेज, सीहोर से बीएससी एग्रीकल्चर और फिर एमएससी पर्यावरण में करने के बाद गौतम टेंटवाल ने राजनीति विज्ञान से भी एमए की डिगरी ली और अब मंत्री पद की भारी व्यस्तता होने के बाद भी पीएचडी करने की इच्छा रखते हैं.

यही वह जज्बा है, जो किसी को भी शीर्ष पर पहुंचा देता है. हालांकि, गौतम टेंटवाल छात्र जीवन से ही आरएसएस के जरीए सक्रिय राजनीति में रहे हैं, लेकिन इसे पेशा उन्होंने बनाया साल 2008 में, जब राजगढ़ जिले की सारंगपुर विधानसभा से वे पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे.

पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से जीत का परचम लहराया, तो उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया और विभाग भी अहम मिला कौशल विकास यानी स्किल डवलपमैंट का, जिस पर इन दिनों सरकार खासा ध्यान दे रही है और तरहतरह की योजनाएं भी संचालित भी कर रही है.

भोपाल में गौतम टेंटवाल से उन के निवास पर लंबी बात हुई. पेश हैं, उस के महत्वपूर्ण अंश :

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सवाल : आप कृषि स्नातक हैं और अब कौशल विकास मंत्री हैं इस नाते कृषि और स्किल डेवलपमेंट को कैसे कनेक्ट करते हैं?

जवाब : यह बहुत अहम और अच्छा सवाल है, जिसे बोलचाल की भाषा में कहें तो खेतीकिसानी और कौशल विकास का गहरा और पुराना नाता है. किसान हमेशा से ही उपलब्ध साधनों, अनुभवों और नई तकनीक को अपनाता रहा है और कृषि की भाषा में कहें तो खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी और मत्स्यपालन सहित कृषि आधारित दूसरे उद्योगों में कौशल विकास के जरीए रोजगार हासिल किए जा सकते हैं. इस के लिए जरूरी है कि इस डिजिटल युग में किसानों के लिए औनलाइन मार्केटिंग, ई-कौमर्स और सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाई जाए. कौशल विकास इस में अहम रोल निभाता है.

सवाल : वह कैसे, जरा विस्तार से बताएंगे?

जवाब : जी. कुछ योजनाओं का जिक्र मैं यहां कर रहा हूं, जो बहुत लोकप्रिय हो रही हैं और किसानों के लिए लाभप्रद भी हैं. पहली है ‘ड्रोन दीदी’, जिस के तहत किसानो को वैज्ञानिक तरीके से जोड़ कर खेती की पैदावार व कीटनाशकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खासतौर से महिलाओं के लिए लौंच किया गया है. इस में महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जाती है और ड्रोन भी प्रदान किए जाते हैं. मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी इस के उत्साहजनक परिणाम आ रहे हैं.

दूसरी अहम योजना पीएमकेवायवाय यानी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना है, जिस के तहत युवाओं को कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है. एक और योजना है, जिस का जिक्र मैं खासतौर से करना चाहूंगा. वह है राष्ट्रीय कृषि विस्तार कार्यक्रम. इस में किसानों को नई तकनीक और विधियों की ट्रेनिंग दी जाती है. इसी तरह ई-नाम में किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी पैदावार बेचने का मौका मिलता है.

सवाल : क्या वजह है कि किसान अभी भी नई तकनीक अपनाने से हिचकते हैं?

जवाब : नहीं, ऐसा नहीं है. किसान अब तेजी से नई तकनीक अपना रहा है, लेकिन यह भी सही है कि सभी किसान परंपरागत खेती का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं. देखिए, कौशल विकास का सीधा सा मतलब है, लोगों को विभिन्न कामों में माहिर बनाना. इस में तकनीकी जानकारी, आधुनिक उपकरणों और नई विधियों का प्रशिक्षण शामिल है.

इसी तरह कौशल विकास का मकसद लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और रोजगार के मौके पैदा करना है. कृषि के क्षेत्र में कौशल विकास किसानों को अधिक उत्पादन करने और बेहतर तकनीकों को अपनाने में मदद करता है. कौशल विकास के जरीए किसान आधुनिक उपकरणों और तकनीक का उपयोग करना सीखते हैं. मसलन, ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती और हाईड्रोपोनिक्स. इस के अलावा कटाई के बाद फसल को सही तरीके से संरक्षित करना और फसल को बाजार में वाजिब दाम में बेचना भी तो कौशल विकास ही है.

सवाल : आजकल हर कहीं आत्मनिर्भर भारत की बात होती है. इस में कृषि और कौशल विकास कहां फिट होते हैं?

जवाब : देखिए, कृषि न केवल की मध्य प्रदेश की, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की भी रीढ़ है. हमें जोकुछ भी मिलता है, वह खेतीकिसानी से ही मिलता है. मेरा मानना है कि कृषि और कौशल विकास का तालमेल ही ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बना सकता है. अगर किसान नए कौशल सीखते, अपनाते हैं और उन्नत कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो वे न केवल अपनी आय को बढ़ा सकते हैं, बल्कि देश की माली हालत को भी मजबूत बना सकते हैं. कृषि एवं कौशल विकास को साथ ला कर ही आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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