बस्ती: उपकृषि निदेशक, बस्ती की अध्यक्षता में ‘किसान दिवस’ बैठक का आयोजन विकास भवन सभागार में किया गया, जिस में जनपद के विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं उन के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया.
सब से पहले उपकृषि निदेशक, बस्ती द्वारा ‘किसान दिवस’ बैठक की कार्यवाही शुरू की गई, जिस में पिछले ‘किसान दिवस’ में आई शिकायतों के निस्तारण की स्थिति संबंधित अधिकारियों द्वारा किसानों को विस्तार से बताई गई.
गेहूंसरसों फसल पर दी जानकारी
कृषि विज्ञान केंद्र, बंजरिया के वैज्ञानिक डा. वीबी सिंह ने बताया कि सरसों के बीज का शोधन डीएपी0से यदि की गई है, तो वह फसल अच्छी होती है.
उन्होंने बताया कि किसान अपने फसलों में पोटाश/नैनो यूरिया/डीएपी यदि संभव हो, तो इफको का ही प्रयोग करें. गेहूं व सरसों में जल विलेय उर्वरक 18:18:18 या 19:19:19 प्रति एकड़ में 2 किलोग्राम छिड़काव पानी में मिला कर करें और जब गेहूं रेड़े या दाने आना शुरू हों, तब 0-0-50-0 डालना चाहिए.
वैज्ञानिक डा. वीबी सिंह ने बताया कि गेहूं सामान्य मिट्टी में कम से कम 3 बार सिंचाई अवश्य करनी चाहिए और सरसों में हर 65 दिन पर सिंचाई करने से पैदावार बढ़ती है.
समय पर गन्ना भुगतान
मुंडेरवा चीनी मिल के मुख्य गन्ना प्रबंधक कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि पिछले वर्ष का समस्त गन्ना मूल्य भुगतान मिल द्वारा कर दिया गया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31 दिसंबर, 2023 तक का भी भुगतान कर दिया गया है एवं 10 जनवरी, 2024 तक का गन्ना मूल्य भुगतान 22 जनवरी, 2024 तक कर दिया जाएगा.
समय पर करें बिजली बिल का भुगतान
अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खंड-3 के महेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि ऐसे जो एकमुश्त समाधान योजना का लाभ नहीं ले सके हैं और उन का बिल 10000 रुपए से अधिक है, वह बिना देरी किए अपने बकाया बिल का भुगतान कर दें, अन्यथा की स्थिति में प्रर्वतन दल द्वारा अभियान चलाया जा रहा है, जिस में लाइन का विच्छेदन भी किया जा सकता है. वर्तमान में कुल 1,42,000 घरेलू उपभाक्ताओं का बिजली बिल 10000 रुपए से ज्यादा है.
रेशम कीट उत्पादन पर जानकारी
सहायक निदेशक, रेशम नीतेश सिंह ने बताया कि रेशम कीट उत्पादन की साल में 4 फसलें ली जा सकती हैं, जिस से किसान कम से कम 40-45 हजार शून्य लागत में अतिरक्ति आमदनी कर सकते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि सहतूत के पौधे फ्री में मिलते हैं और इन्हें खेतों के चारों तरफ मेंड़ों पर लगा कर अच्छी आमदनी की जा सकती है. वर्तमान में ’’सिल्क समग्र’’ योजना संचालित है, जिस में जो किसान अधिक उत्पादन करते हैं, उन्हें विभाग द्वारा प्रोत्साहन के रूप में शेरी कल्चर गृह बनाने पर अनुदान दिया जाता है और बंगाल एवं मैसूर में प्रशिक्षण भी कराया जाता है. रेशम कीटपालन करने से बिना लागत के अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है.
’’प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’’ पर दी जानकारी
अधिकारी,मत्स्य संदीप कुमार वर्मा ने बताया कि यदि मछलीपालन का कार्य व्यावसायिक रूप से किया जाए, तो इस से अच्छी आमदनी की जा सकती है. वर्तमान समय में ’’प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’’ संचालित है, जिस में तालाब निर्माण के लिए 1/2 हेक्टेयर से ले कर 2 हेक्टेयर तक किया जा सकता है. 11 लाख रुपए की परियोजना लागत पर महिला/ अनुसूचित जाति को 60 फीसदी एवं अन्य को 40 फीसदी अनुदान देय है. इस समय मछलीपालन नई तकनीक से सीमेंटेड टैंक बनवा कर किया जाता है, जिस पर साढ़े 7 लाख से ले कर 50 लाख रुपए तक की परियोजना लागत पर विभाग द्वारा अनुदान दिया जाता है. साथ ही, इस के विपणन के लिए छोटे से ले कर बड़े किसानों को साइकिल/मोटरसाइकिल/3 व्हीलर एवं रेफ्रिजरेटर वैन विभाग द्वारा दिया जाता है.
पाले से करें फसल बचाव
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि इस समय शीतलहर चल रही है एवं फसलों में पाला लगने की संभावना बनी हुई है, इस से बचने के लिए शाम के समय बोरिंग से सिंचाई की जाए, तो जमीन का तापमान 3 से 4 डिगरी बढ़ जाता है, क्योंकि ओस की बूंदें जम कर बर्फ में बदल जाती हैं. इस से बचाव के लिए खेत के उत्तरपश्चिम दिशा में आग जलाने से तापमान में वृद्धि की जा सकती है. खेतों में सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव प्रति लिटर 1,000 लिटर पानी में मिला कर किया जा सकता है.
माहू की करें रोकथाम
उन्होंने आगे यह भी बताया कि जब धूप निकलना शुरू हो, तो माहू का प्रकोप फसलों पर होना शुरू हो जाएगा और धूप के कारण माहू सीधे बच्चे देना शुरू कर देते हैं, जिस से 2-3 दिन में ही कीड़े फसलों का रस चूस लेते हैं, इस से बचाव के लिए सामान्य कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है.
यदि कीटनाशक का प्रयोग न करना हो, तो काली मिर्च एवं लाल मिर्च पाउडर पानी में घोल कर या नीम तेल का छिड़काव किया जा सकता है. यदि खेत में पाला लग गया है, तो यूरिया एवं डीएपी का छिड़काव किया जा सकता है.
जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने किसानों से अपील की कि रसायनों का कम से कम प्रयोग करें. यदि खेती से संबंधित कोई समस्या आती है, तो कृषि विभाग द्वारा संचालित सहभागी फसल निगरानी या निदान प्रणाली भी कहते हैं, पर फोन/व्हाट्सअप/मैसेज द्वारा समस्या का समाधान 24 से 48 घंटे के भीतर कर दिया जाता है, जिस का नंबर 9452257111 या 9452247111 है.
कृषि यंत्र खरीदने वाले किसानों के लिए जानकारी
उपसंभागीय कृषि प्रसार अधिकारी हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जिन किसानों के यंत्रों का टोकन कंफर्म हो गया है, वह अपने बिल/वाउचर पोर्टल पर अपलोड कर दें. 17 जनवरी, 2024 का सोलर पंप के लक्ष्य के अंदर समस्त टोकन कंफर्म कर दिए गए हैं. किसान बाकी की धनराशि टोकन जनरेट कर के औनलाइन/औफलाइन जमा कर सकते हैं.
अन्त में उप एलकृषि निदेशक ने द्वारा उपस्थित सदस्यों/किसानों को ‘किसान दिवस’ में प्रतिभाग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर किसान दिवस का समापन की घोषणा की गई.