साल 2025-2026 के लिए लोकसभा में पेश किए गए केंद्रीय बजट में इस बार मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए अब तक की सब से अधिक कुल 2,703.67 करोड़ रुपए की सालाना राशि आवंटित की गई. वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए यह आवंटित राशि पिछले साल 2024-25 के दौरान 2,616.44 करोड़ की तुलना में 3.3 फीसदी अधिक है. इस में साल 2025-26 के दौरान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 2,465 करोड़ रुपए का आवंटन शामिल है, जो पिछले वर्ष 2024-25 के दौरान योजना के लिए किए गए आवंटन (2,352 करोड़ रुपए) की तुलना में 4.8 फीसदी अधिक है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में जलीय कृषि और समुद्री भोजन निर्यात में अग्रणी के रूप में भारत की उपलब्धि पर जोर दिया. यह बजट रणनीतिक रूप से वित्तीय समावेशन को बढ़ाने, सीमा शुल्क को कम कर के किसानों पर वित्तीय बोझ कम करने और समुद्री मत्स्यपालन के विकास को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है.
बजट 2025-26 में लक्षद्वीप और अंडमाननिकोबार द्वीप समूहों पर विशेष ध्यान देने के साथ विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और खुले समुद्र से मत्स्यपालन के स्थायी उपयोग के लिए रूपरेखा को सक्षम करने पर जोर दिया गया है. चूंकि भारत में 20 लाख वर्ग किलोमीटर का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और 8,118 किलोमीटर की लंबी तटरेखा है, जिस की अनुमानित समुद्री क्षमता 53 लाख टन है और 50 लाख लोगों की आजीविका समुद्री मत्स्यपालन क्षेत्र पर निर्भर है.
यह भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, विशेष रूप से अंडमाननिकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह के आसपास उच्च मूल्यवान ट्यूना और ट्यूना मछली जैसी प्रजातियों के उपयोग के लिए विशाल गुंजाइश और क्षमता प्रदान करता है. सरकार क्षमता विकास के साथ गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देगी और संसाधन विशिष्ट मछली पकड़ने वाले जहाजों के अधिग्रहण का समर्थन करेगी.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मत्स्यपालन के विकास का लक्ष्य 6.60 लाख वर्ग किलोमीटर आर्थिक क्षेत्र का उपयोग करना होगा, जिस में 1.48 लाख टन की समुद्री मत्स्यपालन क्षमता होगी, जिस में ट्यूना मत्स्यपालन के लिए 60,000 टन की क्षमता भी शामिल है.
इस उद्देश्य के लिए ट्यूना क्लस्टर के विकास को अधिसूचित किया गया है. ट्यूना मछली पकड़ने वाले जहाजों में औनबोर्ड प्रसंस्करण और फ्रीजिंग सुविधाओं की स्थापना, गहरे समुद्र में ट्यूना मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए लाइसैंस व अंडमाननिकोबार प्रशासन द्वारा एकल खिड़की मंजूरी जैसी गतिविधियों के अवसरों का उपयोग करने पर जोर दिया गया है.
समुद्री पिंजरा संस्कृति में समुद्री शैवाल, सजावटी और मोती की खेती पर भी जोर दिया गया है. लक्षद्वीप द्वीप समूह में मत्स्यपालन के विकास का लक्ष्य इस के 4 लाख वर्ग किलोमीटर के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और 4200 वर्ग किलोमीटर के लैगून क्षेत्र का उपयोग होगा, जिस में 1 लाख टन की क्षमता होगी, जिस में ट्यूना मछलीपालन के लिए 4,200 टन की क्षमता भी शामिल है.
इस उद्देश्य के लिए समुद्री शैवाल क्लस्टर के विकास को अधिसूचित किया गया है और लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा शुरू से अंत तक मूल्य श्रृंखला के साथ द्वीपवार क्षेत्र आवंटन और पट्टे की नीति, महिला स्वयं सहायता समूह का गठन और आईसीएआर संस्थान के माध्यम से क्षमता निर्माण जैसी गतिविधियां की गई हैं. निजी उद्यमियों और लक्षद्वीप प्रशासन के सहयोग से ट्यूना मछली पकड़ने और सजावटी मछलीपालन में अवसरों का उपयोग करने पर जोर दिया गया है.
इस बार केंद्रीय बजट 2025 में भारत सरकार ने मछुआरों, किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और अन्य मत्स्यपालन हितधारकों के लिए ऋण पहुंच बढ़ाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की ऋण सीमा को 3 लाख से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया है.
इस कदम का उद्देश्य वित्तीय संसाधनों के प्रवाह को सुव्यवस्थित करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षेत्र की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक धन आसानी से उपलब्ध हो. बढ़ी हुई ऋण उपलब्धता आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने में सहायता करेगी और ग्रामीण विकास और आर्थिक स्थिरता को मजबूत करेगी.
वैश्विक समुद्री भोजन बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और हमारी निर्यात टोकरी में मूल्यवर्धित उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिर्माण के लिए जमे हुए मछली पेस्ट (सुरीमी) और नकली केंकड़ा मांस की छड़ें, सुरीमी केंकड़ा पंजा उत्पाद, झींगा एनालौग, लौबस्टर एनालौग और अन्य सुरीमी एनालौग या नकली उत्पाद आदि जैसे मूल्यवर्धित समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात पर मूल सीमा शुल्क को 30 फीसदी से घटा कर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है.
इस के अलावा भारतीय झींगापालन उद्योग को विश्व स्तर पर मजबूत करने के लिए एक्वाफीड के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण इनपुट मछली हाइड्रोलाइजेट पर आयात शुल्क 15 फीसदी से घटा कर 5 फीसदी करने की घोषणा की गई है. इस से उत्पादन लागत कम होने और किसानों के लिए राजस्व और लाभ मार्जिन बढ़ने की उम्मीद है, जिस से निर्यात में सुधार और वृद्धि होगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख ‘सूर्योदय क्षेत्रों’ में से एक कहे जाने वाले भारतीय मत्स्यपालन क्षेत्र ने अपनी छाप छोड़ी है. कृषि के अंतर्गत संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादन के मूल्य वित्त वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक में 9.0 फीसदी की उच्चतम औसत वार्षिक दशकीय वृद्धि दर्ज करते हुए बहुत स्वस्थ गति से बढ़ रहा है. इस विकास की कहानी को वैश्विक मछली उत्पादन में 8 फीसदी हिस्सेदारी और 184.02 लाख टन (2023-24) के रिकौर्ड उच्च मछली उत्पादन के साथ दूसरे सब से बड़े मछली उत्पादक देश के रूप में भारत की वैश्विक रैंकिंग द्वारा चिन्हित किया गया है.
भारत साल 2023-24 में 139.07 लाख टन के साथ जलीय कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और 60,524 करोड़ रुपए के कुल निर्यात मूल्य के साथ दुनिया में शीर्ष झींगा उत्पादक और समुद्री खाद्य निर्यातक देशों में से एक है. यह क्षेत्र हाशिए पर मौजूद और कमजोर समुदायों के 30 मिलियन से अधिक लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान करता है. ‘सब का साथ, सब का विकास, सब का विश्वास, सब का प्रयास’ के आदर्श वाक्य के साथ भारत सरकार साल 2047 तक विकसित भारत की दिशा में प्रमुख चालक के रूप में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दे रही है.