पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी की अनुमति दी. इस चकबंदी के आदेश के अनुसार, 74 गांवों में से 51 गांवों में पहली बार और 23 गांवों में दूसरी बार चकबंदी होगी.
यहां यह जानकारी के लिए बता दें कि जमीन की चकबंदी एक ऐसी सरकारी प्रक्रिया है, जिस में खेत की जमीन को नक्शे के अनुसार खेतों को समायोजित किया जाता है, जिस में किसानों के चक के पास चकरोट यानी रास्ता भी निकाला जाता है. चकबंदी सरकारी दस्तावेजों के हिसाब से की जाती है. इस में कई ऐसे किसानों का फायदा भी हो जाता है, जिस की जमीन का हिस्सा किसी अन्य ने अपने कब्जे में ले रखा हो. जिस किसान के खाते में कितनी जमीन सरकारी दस्तावेजों में है, वह नाप कर निशान लगा दिए जाते हैं. कुछ किसान इधरउधर खेतों की मेंड़ काट कर खेतों को गैरकानूनी तरीके से बढ़ा लेते हैं. उन की जमीन को भी सरकारी रिकौर्ड के अनुसार नपत होती है.
ध्यान देने वाली बात है कि जमीन की इस नापजोख में कई गैरकानूनी जमीनें भी पकड़ में आती हैं. इसलिए कुछ जमींदार जैसे लोगों को झटका भी लगता है, तो कुछ रसूखदार लोग पटवारी या चकबंदी अधिकारियों के साथ तालमेल कर उन से गैरकानूनी फायदा भी उठाने की कोशिश करते हैं.
ये बात सभी किसान जानते हैं कि चकबंदी से जहां किसानों के लिए चकरोड, खलिहान, चारागाह आदि के लिए भूमि उपलब्ध हो जाती है, वहीं गांवों के विकास के लिए भी जमीन उपलब्ध हो जाती है. ग्रामीण आबादी के लिए, गांव के विकास की अनेक योजनाओं के लिए भी चकबंदी में जमीन की व्यवस्था की जाती है.
कितने समय बाद होती है चकबंदी
चकबंदी का काम एक लंबे अरसे बाद होता है. इस काम में कई दशक का समय भी लग सकता है. लेकिन ये ग्राम विकास के लिए अच्छी पहल होती है. किसानों की जमीन सरकारी रिकौर्डों में भी दुरुस्त हो जाती है और अपनी जमीन की माप भी पूरी हो जाती है.
हालांकि कुछ किसानों को शिकायत भी रहती है कि उन की जमीन कम हो गई है, जबकि ऐसा नहीं है. सरकारी रिकौर्ड में उन की जमीन का लेखाजोखा दर्ज होता है. उसी के अनुसार नाप होती है. लेकिन चकबंदी के समय किसानों को जागरूक जरूर रहना चाहिए. जरूरत पड़े तो चकबंदी के समय किसी माहिर जानकार को जरूर साथ रखें, जिस से जहां कुछ समझ न आए तो वह चकबंदी अधिकारी या लेखपाल से नापजोख आदि का हिसाब समझ कर आप को समझा सके.
फिलहाल जो चकबंदी का आदेश जारी हुआ है, उस में प्रदेश के मुरादाबाद, बिजनौर, रायबरेली, रामपुर, संतकबीरनगर, बरेली, बस्ती, बदायूं, बलरामपुर, कानपुर देहात, सहारनपुर, सोनभद्र, देवरिया, वाराणसी, जौनपुर, गोंडा के 52 ग्रामों के प्रथम चरण की चकबंदी प्रक्रिया में सम्मलित करने की अनुमति दी गई है.
द्वितीय चरण की चकबंदी प्रक्रिया के लिए मैनपुरी, सिद्धार्थनगर, प्रतापगढ़, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर, देवरिया, जौनपुर, अंबेडकर नगर, अमरोहा, अलीगढ़, गोंडा, प्रयागराज, बरेली, बस्ती, बुलंदशहर, मऊ, मथुरा, गोरखपुर, गाजीपुर, सोनभद्र जिलों की विभिन्न तहसील, ब्लौकों के 85 ग्रामों के लंबित चकबंदी प्रस्ताव पर शुरू करने की अनुमति दी गई है.