मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) अन्य बातों के साथसाथ एकीकृत आधुनिक तटीय मत्स्यन गांवों (इंटीग्रेटेड मौडर्न कोस्टल फिशिंग विल्लेजस) के विकास के लिए तटीय राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करती है.
हर एक एकीकृत तटीय मत्स्यन गांव के विकास के लिए अनुमानित इकाई लागत केंद्र और संबंधित राज्य सरकार के बीच 60:40 के आधार पर बांटी जाती है और केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में भारत सरकार 100 फीसदी इकाई लागत प्रदान करती है.
पीएमएमएसवाई के अंतर्गत कुल 11 एकीकृत आधुनिक तटीय गांवों के विकास के लिए 7,756.46 लाख रुपए के निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, जिन में केरल में 6,106.61 लाख रुपए की लागत से नौ तटीय गांव, लक्षद्वीप में 899.85 लाख रुपए की लागत से एक तटीय गांव और पश्चिम बंगाल में 750 लाख रुपए की लागत से एक तटीय गांव शामिल हैं.
चूंकि यह योजना केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों के बीच लागत को आपस में बांट के आधार पर पीएमएमएसवाई की गैरलाभार्थी उन्मुख गतिविधियों के रूप में चलाई जाती है, इसलिए इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं दी जाती है.
इस के अलावा,पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से क्लाईमेट रेसीलिएंट कोस्टल फिशरमन विल्लेजस के रूप में विकास के लिए तटरेखा के करीब स्थित कुल 100 तटीय मछुआरा गांवों की पहचान की है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत मछुआरा गांव बनाया जा सके.
इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद को एक नोडल एजेंसी बनाया गया है और वर्तमान वित्त वर्ष में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत पहचान किए गए 100 तटीय गांवों के विकास के लिए एनएफडीबी के प्रस्ताव को 200 करोड़ रुपए की कुल लागत से मंजूरी दी गई है.
इस के साथ ही, पहचान किए गए तटीय मछुआरा गांवों में विकसित की गई आवश्यकता आधारित मात्स्यिकी सुविधाओं में फिश ड्राईंग यार्ड, प्रोसैसिंग सेंटर, फिश मार्केट, फिशिंग जेट्टी, आइस प्लांट, कोल्ड स्टोरेज और आपातकालीन बचाव सुविधाएं जैसी सामान्य सुविधाएं शामिल हैं.
यह कार्यक्रम सी वीड कल्टीवेशन, आर्टिफिश्यल रीफ्स, सी रेंचिंग, हरित ईंधन (ग्रीन फ्युल) को बढ़ावा देने, मछुआरों और फिशिंग वेसेल्स के लिए सेफ्टी और सुरक्षा उपायों और ओरनामेंटल फिशरीस जैसी वैकल्पिक आजीविका गतिविधियों को अपनाने जैसी पहलों के माध्यम से क्लाइमेट रेसीलिएंट फिशरीस को भी बढ़ावा देता है.
इस कार्यक्रम में बीमा, आजीविका और पोषण सहायता, किसान क्रेडिट कार्ड और पहचान किए गए तटीय गांवों में रहने वाले पात्र मछुआरों तक केसीसी कवरेज जैसी अन्य गतिविधियों की भी परिकल्पना की गई है.
पीएमएमएसवाई के अंतर्गत क्लाईमेट रेसीलिएंट कोस्टल फिशरमन विल्लेजस यानी आदर्श मछुआरा गांवे के रूप में तटीय राज्यों में से गुजरात में 8, महाराष्ट्र में 15, दमन व दीव में 1, पुदुच्चेरी में 2, ओडिशा में 18, आंध्रप्रदेश में 15, लक्षद्वीप में 2, तमिलनाडु में 16, कर्नाटक में 5, केरल में 6, अंडमाननिकोबार में 5, पश्चिम बंगाल में 5 और गोवा में 2 गांवो की पहचान की गई है.