नई दिल्ली : मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 5 सालों के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र में 20050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ एक प्रमुख योजना “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना यानी पीएमएमएसवाई)” को कार्यान्वित कर रही है. पीएमएमएसवाई योजना का मुख्य उद्देश्य सतत(सस्टेनेबल), जिम्मेदार, समावेशी (इन्क्लूसिव) और उचित तरीके से मात्स्यिकी क्षमता का उपयोग करना है और मत्स्य उत्पादन विधियों को बढ़ावा देना है. यह योजना कर्नाटक सहित सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है.

पीएमएमएसवाई के तहत बीते 4 सालों और वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने कुल 1056.34 करोड़ रुपए की लागत से कर्नाटक सरकार के मात्स्यिकी विकास प्रस्ताव को स्वीकृति दी है.

मत्स्यपालन में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मंजूर गतिविधियों में गुणवत्तापूर्ण बीज आपूर्ति के लिए फिश हैचरी, मीठे पानी और खारे पानी के एक्वाकल्चर में क्षेत्र विस्तार, प्रौद्योगिकी संचारित कल्चर प्रथाएं जैसे रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लोक इकाइयां, केज कल्चर, सीवीड फार्मिंग, ओर्नामेंटल ब्रीडिंग और रियरंग यूनिट शामिल हैं.

तटीय समुद्री क्षेत्रों में पीएमएमएसवाई के तहत फिश स्टाक की बहाली के लिए कर्नाटक सहित सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आर्टिफिशियल रीफ की स्थापना के लिए भी मंजूरी दी गई है. मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र/इंडियन ऐक्सक्लूसिव इकौनोमिक जोन (ईईजेड) में मानसून/मत्स्य प्रजनन अवधि के दौरान एकसमान मत्स्यन पर प्रतिबंध (यूनिफौम फिशिंग बैन) भी लागू कर रहा है और संरक्षण व समुद्री सुरक्षा कारणों से कर्नाटक सहित तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रादेशिक जल (टेरिटोरियल वाटर) के भीतर इस तरह के फिशिंग बैन को लागू किया गया है.

इस के अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक 4 सालों के लिए मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसवाई) नामक एक उपयोजना के कार्यान्वयन के लिए स्वीकृति दे दी है. इस योजना का उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र की मूल्यश्रृंखला दक्षता में सुधार के लिए निष्पादन अनुदान के माध्यम से मात्स्यिकी और एक्वाकल्चर सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देना है.

पीएमएमएसवाई के तहत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के माध्यम से जल कृषि के अन्य क्षेत्रों में विभिन्न कृषि पद्धतियों में विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिस में गहन (इंटेंसिव) मीठे पानी की जल कृषि, खारे पानी में जल कृषि, शीत जल मात्स्यिकी, सजावटी मत्स्यपालन, मत्स्य प्रसंस्करण और विपणन, प्रजाति विशिष्ट हैचरी और प्रजाति विशिष्ट कल्चर (कृषि) प्रैक्टिस शामिल हैं.

एनएफडीबी ने बताया कि पीएमएमएसवाई के तहत अब तक कर्नाटक में 141 प्रशिक्षण और आउटरीच गतिविधियों को वित्त प्रदान किया गया है, जिस में 10,150 प्रतिभागी शामिल हैं और 121.15 लाख रुपए की धनराशि मंजूर की गई है.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार ने डेयरी सहकारी समितियों सहित डेयरी क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं. यह सूचित किया गया है कि साल 2014 में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनडीडीपी) योजना की शुरुआत के बाद से कर्नाटक में 16 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिन की कुल परियोजना लागत 408.39 करोड़ रुपए है. स्वीकृत परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर्नाटक सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.

इस के अलावा साल 2021-22 से 2025-26 तक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार 500 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अंब्रेला योजना “इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड” के एक हिस्से के रूप में डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता देने की योजना भी लागू कर रही है.

इस योजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है, जिस का मुख्य उद्देश्य गंभीर रूप से प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निबटने के लिए सौफ्ट वर्किंग कैपिटल लोन (आसान कार्यशील पूंजी ऋण) दे कर के डेयरी गतिविधियों में लगे सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता करना है. यह योजना कर्नाटक में भी लागू की जा रही है.

इस के अलावा फरवरी, 2024 से डेयरी प्रोसैसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंडा (डीआईडीएफ) का पुनर्गठन किया गया है और इसे एनिमल हसबंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड (एएचआईडीएफ) में एकीकृत किया गया है. इस संशोधित योजना के तहत सहकारी समितियां और प्राइवेट डेयरी प्लांट्स दोनों ही 3 फीसदी हर साल की दर से ब्याज सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं. साथ ही, निजी संस्थाओं की तरह सहकारी समितियां भी अब इस योजना के अंतर्गत अर्हता प्राप्त किसी भी ऋण देने वाली संस्था से ऋण प्राप्त कर सकती हैं.

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