भारत सरकार ने साल 2023-24 से 2025-26 तक के लिए 1261 करोड़ रुपए के कुल खर्च के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना को मंजूरी दी है.

इस योजना के तहत कुल 15,000 ड्रोन में से प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) ने अपने संसाधनों का उपयोग कर के साल 2023-24 में पहले ही  500 ड्रोन खरीद लिए हैं, जो कि चुने हुए स्वयं सहायता समूह को दे दिए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25  में 3,090 एसएचजी को ड्रोन बांटने का लक्ष्य रखा गया है.

यह योजना कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और उर्वरक विभाग, दीनदयाल योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों और प्रमुख उर्वरक कंपनियों के संसाधनों को साथ ला कर चलाई  जा रही है.

दीनदयाल योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन प्रगतिशील महिला एसएचजी का चयन कर, ड्रोन पायलट और ड्रोन प्रशिक्षण के लिए महिला एसएचजी के सदस्यों को चुन कर, जिलेवार ड्रोन उपयोग का आकलन कर, मौजूदा अंतराल की पहचान कर, ड्रोन उपयोग की उपलब्धता और भविष्य की जरूरतों, एलएफसी और कीटनाशक कंपनियों आदि के समन्वय में चुने गए महिला एसएचजी को व्यवसाय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है.

‘नमो दीदी ड्रोन योजना’ के तहत ड्रोन की एक पैकेज के रूप में आपूर्ति की जाती है, जिस में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और इन महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों में से एक के लिए पोषक तत्व और कीटनाशक अनुप्रयोग के लिए कृषि उद्देश्य के लिए ट्रेनिंग भी शामिल है.

इस योजना में स्वयं सहायता समूहों के परिवार के सदस्यों को भी ड्रोन सहायक के रूप में प्रशिक्षित करने का प्रावधान किया गया है. इस योजना  का लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों को रोजगार और आजीविका सहायता प्रदान करना है.

स्वयं सहायता समूहों को उपलब्ध कराए गए ड्रोन का उपयोग किसानों को तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किराए पर सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा, जिस से फसल में कीटनाशक छिड़काव करते हुए किसानों को जिन सेहत व सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन समस्याओं में कमी आएगी.

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