Micro-Irrigation : आजकल किसानों के सामने खेती में सिंचाई एक बड़ी समस्या है. दिनोंदिन पानी का लैवल नीचे पहुंचता जा रहा है. ऐसे समय में हमें खेती में कम पानी से सिंचाई हो, ऐसी तकनीक की दरकार है. इसी संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा सिंचाई के लिए माइक्रोइरीगेशन (Micro-Irrigation) योजना ‘पर ड्रौप मोर क्रौप’ के नाम से योजना चलाई जा रही है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना भी इस योजना के अंतर्गत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को प्रभावी तरीके से अनेक फसलों में अपनाने पर जोर दे रहा है. इस सिंचाई पद्धति से 40 से 50 फीसदी तक पानी की बचत की जा सकती है.
हमारे देश में किसानों के विकास के लिए सरकार द्वारा अनेक कृषि योजनाएं चलाई जा रही हैं. चाहे बात खेत की बोआई की हो या खेत की सिंचाई की हो, फसल की निराईगुड़ाई की हो, फसल की छंटाई की हो, उस की गहाई की हो या खेत तैयार करने की हो, इन सब के बावजूद खेती के अनेक काम होते हैं, जिस के लिए अनेक आधुनिक तकनीकी पर आधारित कृषि यंत्र हैं, जिन के इस्तेमाल से न केवल फसल से अच्छी उपज मिलती है, बल्कि समय और मेहनत भी कम लगती है.
आजकल किसानों के सामने खादबीज के अलावा सिंचाई भी एक बड़ी समस्या है. दिनोंदिन पानी का लैवल नीचे पहुंचता जा रहा है. ऐसे समय में हमें खेती में कम पानी से सिंचाई हो, ऐसी तकनीकों की दरकार है.
इसी संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा सिंचाई के लिए माइक्रोइरीगेशन योजना ‘पर ड्रौप मोर क्रौप’ के नाम से योजना चलाई जा रही है. इसे सूक्ष्म सिंचाई तकनीक भी कहा जाता है.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना भी इस योजना के अंतर्गत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को प्रभावी तरीके से अनेक फसलों में अपनाने पर जोर दे रहा है. इस सिंचाई पद्धति से 40 से 50 फीसदी तक पानी की बचत की जा सकती है और 35 से 40 फीसदी तक अधिक पैदावार भी हासिल की जा सकती है.
यूपीएमआईपी पोर्टल से करें रजिस्टर
वर्तमान में इस योजना का संचालन यूपीएमआईपी पोर्टल के जरीए किया जा रहा है. जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहता है, वह पोर्टल पर रजिस्टर कर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति लगा सकते हैं.
योजना प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए लाभार्थी किसानों के प्रक्षेत्रों (खेत) पर लगाई गई इस यूनिट का इंस्पैक्शन (जांच) थर्ड पार्टी द्वारा किया जाता है, जिस से सिंचाई यूनिट का बीमा भी किया जा सके.
ड्रिप सिंचाई पद्धति के लिए चुनी गईं फसलें
बागबानी फसल : फल उद्यान (फलों के बाग) : आम, अमरूद, आंवला, नीबू, बेल, बेर, अनार, अंगूर, आड़ू, लोकाट, आलूबुखारा, नाशपाती, पपीता, केला आदि.
सब्जी फसल : टमाटर, बैंगन, भिंडी, मिर्च, शिमला मिर्च, गोभीवर्गीय एवं कद्दूवर्गीय सब्जियां.
फूल और औषधीय फसल : खुशबूदार और औषधीय फसलों में अनेक तरह के फूलों की खेती जैसे ग्लैडियोलस, गुलाब, रजनीगंधा, सगंध पौधे और अनेक औषधीय फसलें आती हैं. इन फसलों के अलावा आलू, गन्ना और अनेक कृषि फसलें भी हैं, जो इस ड्रिप सिंचाई की योजना के अंतर्गत आती हैं.
स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति
इस में मुख्य रूप से मटर, आलू, गाजर, पत्तेदार सब्जियां और कृषि फसलों में माइक्रो, मिनी, पोर्टेबल, सैमी, परमानैंट एवं रेनगन स्प्रिंकलर का इस्तेमाल होता है.
सिंचाई यंत्र पर सब्सिडी का पैमाना
माइक्रोइरीगेशन योजना के तहत किसान को इस योजना का लाभ उस की श्रेणी के अनुसार मिलता है. इस के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार अपनेअपने हिस्से की सब्सिडी किसान को देती है. शेष राशि जो लाभार्थी को उठानी होती है, वह काफी कम होती है. विस्तार से सारणी में जानकारी दी गई है.