चंडीगढ़: हरियाणा में कृषि व किसानों की प्रगति के लिए प्रदेश सरकार अब क्लस्टर मोड पर पायलट परियोजनाओं की रूपरेखा बना रही है, जिस से फसल विविधीकरण, सूक्ष्म सिंचाई योजना, पशु नस्ल सुधार व अन्य कृषि संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. इस के अलावा जैविक खेती, प्राकृतिक खेती व सहकारी खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए भी हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण नई योजनाएं तैयार करेगा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की जनरल बौडी की तीसरी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बैठक में ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल, सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल, विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली और हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो व हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति के चेयरमैन सुभाष बराला उपस्थित रहे.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि चूंकि आज के समय में जोत भूमि छोटी होती जा रही है, इसलिए छोटे व सीमांत किसानों की आय में वृद्धि व प्रगति के लिए परंपरागत खेती के साथसाथ नए दौर की कृषि प्रणाली अपनाने की जरूरत है.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में आज अपार संभावनाएं हैं, जिस से किसान व पशुपालक बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, किसानों को सहकारिता खेती अवधारणा की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, जिस से कई किसान मिल कर एकसाथ खेती करें, इस से छोटी जोत भूमि की समस्या भी खत्म होगी और किसान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की दिशा में भी बढ़ सकेंगे. इसलिए प्राधिकरण संबंधित विभागों के साथ मिल कर पायलट योजनाएं तैयार करे. इजराइल की तर्ज पर सहकारिता खेती के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रेरित करें.
समेकित खेती के लिए तैयार करें डेमोस्ट्रेशन फार्म
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार फसल विविधीकरण व जल संरक्षण के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना व डीएसआर तकनीक से धान की बिजाई के साथसाथ विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन दे रही है, ताकि किसान परंपरागत खेती से हट कर अन्य फसलों की ओर जाएं.
उन्होंने आगे कहा कि विभाग समेकित खेती के लिए भी डेमोस्ट्रेशन फार्म तैयार करे और किसानों को ऐसे फार्म का दौरा करवा कर इस विधि की विस्तृत जानकारी दें.
उन्होंने यह भी कहा कि भूजल स्तर निरंतर कम हो रहा है. कई जगह यह स्तर 100 मीटर से भी गहरा चला गया है और हर वर्ष लगभग 10 मीटर नीचे जा रहा है. इसलिए ऐसे क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं स्थापित करने पर जोर दिया जाए. जहां पर भूजल स्तर 30 मीटर है, वहां पर भी कृषि नलकूपों को शतप्रतिशत सौर ऊर्जा पर लाया जाए, राज्य सरकार इस के लिए नई सब्सिडी देने को भी तैयार है. पानी और बिजली पर जितना भी खर्च होगा, सरकार उसे वहन करने के लिए तैयार है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि शिवालिक व अरावली पर्वत श्रृंखला में बरसात के पानी के संरक्षण के लिए रिजर्वायर बनाया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ों से आने वाले पानी को जमा किया जा सके और बाद में इसे सिंचाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयोग किया जा सके.
उन्होंने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस के लिए पायलट परियोजना तैयार करें.
मनोहर लाल ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य के साथसाथ अनाज की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है. आज उर्वरकों व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाले अनाज से कई गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं. इसलिए हमें कैमिकलरहित अनाज पैदा करने की ओर बढ़ना होगा. इस का उपाय प्राकृतिक खेती ही है. जो पंचायत अपने गांव को कैमिकल फ्री खेती वाला गांव घोषित करेगी, उस के लिए हर प्रकार की फसल की खरीद सरकार सुनिश्चित करेगी, इस के लिए एमएसपी के अलावा 10 से 20 फीसदी से अधिक मूल्य पर खरीद होगी. साथ ही, फसल की ब्रांडिंग और पैकेजिंग खेतों में ही होगी.