प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के तहत कृषि क्षेत्र का डीजल की खपत को कम करने, किसानों को जल एवं ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने, किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाना शामिल है. इस योजना के 3 घटक हैं, जिन में 34,422 करोड़ रुपए की कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 31 मार्च, 2026 तक 34.8 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है.

इस योजना की मुख्य विशेषताएं:

‘पीएम कुसुम योजना’ मांग पर आधारित है और योजना के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, कार्यान्वयन के लिए देश के सभी किसानों के लिए खुली हुई है. इस के तहत किसानों की बंजर, परती, चारागाह, दलदली व कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रांउड व स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे संयंत्र व्यक्तिगत किसान, सौर ऊर्जा डेवलपर, सहकारी समितियों, पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं.

इस के अलावा औफ ग्रिड क्षेत्रों में 14 लाख स्वचालित सौर पंपों की स्थापना भी की जा रही है, जिस के तहत व्यक्तिगत पंप सौरकरण और फीडर स्तर सौरकरण के माध्यम से 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौरकरण किया जाएगा. वहीं इस योजना के तहत लाभार्थी व्यक्तिगत किसान, जल उपयोगकर्ता संघ, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां और समुदाय, क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली शामिल हो सकते हैं.

इस योजना के अंतर्गत सौर व अन्य नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए डिस्कौम को खरीद आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) 40 पैसे प्रति किलोवाट या 6.60 लाख प्रति मेगावाट प्रति वर्ष, जो भी कम हो, विद्युत वितरण कंपनियों को संयंत्र की वाणिज्यिक परिचालन तिथि से 5 सालों के लिए पीबीआई दिया जाता है. इसलिए डिस्कौम को देय कुल पीबीआई 33 लाख रुपए प्रति मेगावाट है.

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