नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतारचढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजनाएं जारी रखने की मंजूरी दे दी है. इस पर 15वें वित्त आयोग के दौरान साल 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपए कुल वित्तीय व्यय होगा.
सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक कुशलता से सेवा प्रदान करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम-आशा में मिला दिया है.
पीएम-आशा की एकीकृत योजना इस के कार्यान्वयन में और अधिक प्रभावशीलता लाएगी, जिस से न केवल किसानों को उन की उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को किफायती मूल्यों पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर के मूल्यों में उतारचढ़ाव को भी नियंत्रित किया जा सकेगा. पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक शामिल होंगे.
मूल्य समर्थन योजना के तहत एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 मौसम से इन अधिसूचित फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25 फीसदी होगी, जिस से राज्यों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और संकटपूर्ण बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी. साल 2024-25 मौसम के लिए तुअर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी, क्योंकि इस दौरान तुअर, उड़द और मसूर की सौ फीसदी खरीद होगी, जैसा कि पहले फैसला किया गया था.
सरकार ने एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए किसानों से मौजूदा सरकारी गारंटी का नवीनीकरण करते हुए उसे बढ़ा कर 45,000 करोड़ रुपए कर दिया है. इस से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) को किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी, जिस में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत यानी रजिस्टर्ड किसान भी शामिल हैं, जब बाजार में कीमतें एमएसपी से नीचे गिरती हैं.
इस से किसान देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरित होंगे और इन फसलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में योगदान देंगे, जिस से घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी.
मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के विस्तार से दालों और प्याज के रणनीतिक सुरक्षित भंडार को बनाए रखने, जमाखोरी करने वालों और विवेकहीन अटकलें लगाने वालों को हतोत्साहित करने और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर आपूर्ति करने के लिए कृषि-बागबानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से बचाने में मदद मिलेगी.
जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा की जाएगी, जिस में नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व पंजीकृत किसान भी शामिल होंगे. सुरक्षित भंडार के रखरखाव के अलावा, पीएसएफ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है.
राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 फीसदी से बढ़ा कर 40 फीसदी कर दिया गया है और किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ा कर 4 महीने कर दिया गया है. केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले एमएसपी और बिक्री/मौडल मूल्य के बीच अंतर का मुआवजा एमएसपी के 15 फीसदी तक सीमित है.
परिवर्तनों के साथ बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन का विस्तार खराब होने वाली बागबानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करेगा. सरकार ने कवरेज को उपज के 20 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी कर दिया है और एमआईएस के तहत उपज की खरीद के बजाय किसानों के खाते में सीधे अंतरसंबंधी भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा है.
इस के अलावा, टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में सब से अधिक कटाई के समय पर उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय को वहन करने का निर्णय लिया है, जिस से न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा, बल्कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए टीओपी फसलों की कीमतों में भी नरमी देखने को मिलेगी.