विदिशा : बासौदा जनपद पंचायत के ग्राम राजोदा के किसान वीर सिंह जाटव ने प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से कृषि कार्यों में मिली मदद और लाभ के चलते किस तरह खेती लाभ का धंधा बनी और मिट्टी परीक्षण के क्या फायदे हुए हैं की कहानी अपनी ही जबानी प्रस्तुत की है.

किसान वीर सिंह जाटव बताते हैं कि साल 2023-24 में वे कृषि विभाग बासौदा के संपर्क में आए और गांव में आयोजित प्रशिक्षण में किसानों को प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत खेत की मिट्टी की जांच कराने की सलाह दी. साथ ही, मिट्टी के नमूने लेने की विधि एवं सरसों फसल की नवीन तकनीकी की जानकारी के साथसाथ अन्य जानकारियां भी मिली.

साल 2023-24 (रबी) सीजन में उन्होंने अपने खेत का मिट्टी नमूना ले कर कृषि विभाग बासौदा में दिया. उस के बाद मिट्टी की जांच कर उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड बना कर दिया गया और बताया गया कि मिट्टी का स्वास्थ्य कैसा है, क्या कमी है सहित अन्य जानकारियां दी गई. उस के बाद किसान ने रबी मौसम में सरसों फसल की बोआई एक एकड़ में की, जिस में संतुलित बीज व संतुलित उर्वरक में डीएपी 25 किलोग्राम, यूरिया 40 किलोग्राम और जिंक सल्फेट 10 किलोग्राम की उचित मात्रा प्रयोग की गई, जिस का खर्च लगभग 1,000 रुपए आया.

सरसों की फसल लगाने में खेत की तैयारी, बीज, उर्वरक, 1 सिंचाई, दवा और अन्य खर्चे मिला कर कुल लागत औसतन 13 हजार  से 15 हजार रुपए प्रति एकड़ (सरसों की फसल में कम मात्रा में बीज व उर्वरक, एक सिंचाई फसल बोआई के लगभग 35 दिन की अवस्था पर, उचित समय पर बोआई करने से कीट व रोगों का कम प्रकोप हुआ. जिस के फलस्वरूप लागत भी कमी आई और सरसों की फसल में विशेष तौर पर पशुओं के प्रकोप से भी नुकसान नहीं हुआ और सरसों फसल की कुल उपज 08.25 क्विंटल प्रति एकड़, जिस से एमएसपी के विक्रय मूल्य आय 46,610 रुपए प्राप्त हुई और शुद्ध आय औसतन 32,610 रुपए प्राप्त हुई.

किसान वीर सिंह जाटव बताते हैं कि उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त हुआ और खेती लाभ का धंधा बनी. उन्होंने अब उन सभी खेतों की मिट्टी का परीक्षण करा लिया है. साथ ही, दूसरे किसानों को भी मिट्टी परीक्षण कराने के लिए प्रेरित करते हैं. सरसों की फसल को भी दूसरे किसानों ने पसंद किया और अगले वर्ष फसल लगाने व मिट्टी परीक्षण करने के लिए प्रेरित हुए हैं.

किसान वीर सिंह जाटव ने प्रधानमंत्री की प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और कृषि विभाग बासौदा के अधिकारियो के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है. वे बताते हैं कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का लाभ लेने से पहले वे साधारण खेती करते थे, जिस में वह खरीफ व रबी मौसम में लगाने वाली फसलों में एकदूसरे की देखादेखी फसलों में अंधाधुंध और मनमाने तरीके से खाद व उर्वरकों का प्रयोग करते थे, जिस से अधिक खर्च होता था. लेकिन अब उन के खर्चों में बहुत कमी आ गई है और खेती लाभ का धंधा बन गई है.

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