हमारे देश में खेती के काम में ट्रैक्टर की खासी भूमिका है. ट्रैक्टर में जोड़ कर अनेक कृषि यंत्रों को चलाया जाता है. अगर आप के पास ट्रैक्टर है तो वह आप के लिए यह एक अच्छी आमदनी का जरीया भी बनता है क्योंकि ज्यादातर किसानों के पास ट्रैक्टर या अन्य कृषि यंत्र नहीं होते हैं, जबकि आज जुताई का काम हो, गहाई का काम हो या खेत बोआई का काम हो, ज्यादातर खेती के काम कृषि यंत्रों पर ही आधारित हैं, इसलिए ऐसे किसान, जिन के पास ये साधन नहीं हैं, वे खेती का काम ऐसे लोगों से ही कराते हैं जिन के पास यंत्रों की सुविधा हो.
अगर आप भी चाहते हैं कि किसी दूसरे किसान की तरह आप के पास भी ऐसी सुविधाएं हों, ट्रैक्टर हो, कृषि यंत्र हों, जिन से खेती का काम आसान हो सके, कमाई का जरीया बन सके तो आज देश में अनेक ट्रैक्टर कंपनियां मौजूद हैं जिन के बनाए ट्रैक्टरों की अलगअलग खूबियां हैं, इसलिए अगर आप ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं तो ट्रैक्टर खरीदने से पहले अपनी जरूरतें देखें और उसी के मुताबिक आगे कदम बढ़ाएं.
ट्रैक्टर खरीदने के लिए आप को लोन भी पास कराना होगा. इस के लिए यहां हम आप को ट्रैक्टर खरीदने के बारे में कुछ जानकारी दे रहे हैं जो आप के लिए फायदेमंद रहेगी.
एसबीआई से ले सकते हैं ‘स्त्री शक्ति ट्रैक्टर लोन’ : अगर आप खेतीबारी से जुड़ा कोई काम करते हैं और ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं तो आप एसबीआई यानी भारतीय स्टेट बैंक से लोन ले सकते हैं. अन्य बैंक भी इस तरह के लोन उपलब्ध कराते हैं, लेकिन एसबीआई की ट्रैक्टर खरीदने के लिए यह खास स्कीम है.
‘स्त्री शक्ति ट्रैक्टर लोन’, जिसे एसएसटीएल भी कह सकते हैं के तहत आप को अपने परिवार की किसी महिला को कर्ज के लिए सहआवेदक बनाना होगा. इस स्कीम में आप ट्रैक्टर के अलावा दूसरे कृषि यंत्रों के लिए भी लोन ले सकते हैं.
ट्रैक्टर खरीदने के लिए किसान की सालाना आमदनी कम से कम डेढ़ लाख रुपए होनी चाहिए और किसान के पास कम से कम 2 एकड़ जमीन भी होनी चाहिए, जिस से बैंक आप पर भरोसा कर सके कि आप ट्रैक्टर का लोन समय पर चुका सकते हैं.
इस के अलावा कोई भी व्यक्ति, स्वयंसहायता समूह या संस्था भी एसएसटीएल स्कीम के तहत लोन ले सकते हैं. बैंक द्वारा लोन देने का मकसद यही है कि किसान कृषि यंत्रों के माध्यम से खेती कर के नियमित आमदनी कर सकें और समय पर बैंक को लोन वापस कर सकें.
महिला आवेदक क्यों जरूरी : बैंक का ऐसा मानना है कि पुरुषों के मुकाबले महिला लोन चुकाने के मामले में ज्यादा जिम्मेदार होती हैं. इसी के चलते बैंक ने महिलाओं को प्राथमिकता दी है और ऐसे लोन पर ब्याज भी कम लगाया है.
कितना मिल सकता है लोन : मोटेतौर पर माना जाए कि अगर ट्रैक्टर की कीमत 5 लाख रुपए तक है तो आप को 4.25 लाख रुपए तक का लोन मंजूर हो सकता है. मतलब, ट्रैक्टर की कुल रकम का 80 से 85 फीसदी तक लोन मिल सकता है. बाकी 15-20 फीसदी रकम आप को अपने पास से देनी होगी. ट्रैक्टर खरीदने के बाद उस का बीमा भी कराना जरूरी होगा.
जरूरी दस्तावेज
* आप का और सहआवेदक महिला का पासपोर्ट साइज फोटो.
* दोनों के पहचानपत्र. पता का प्रूफ दस्तावेज (वोटरकार्ड, आधारकार्ड, पैनकार्ड वगैरह हो सकते हैं.)
* खेती के कागजात.
* बैंक पासबुक की स्टेटमैंट.
* आप की आमदनी की जानकारी.
* सहआवेदक महिला से आप का क्या संबंध है, उस की भी जानकारी देनी होगी.
ये सब जरूरी कागजात आप को पूरे करने होंगे.
अगर बैंक आप से ‘स्त्री शक्ति ट्रैक्टर लोन’ के लिए जमीन के कागज गिरवी रखने को कहता है या आप अपनी जमीन के कागज बैंक के पास गिरवी रखते हैं. इस से आप को कम ब्याज पर लोन मिलेगा.
कितने समय में वापसी : अगर आप जमीन गिरवी रखे बिना लोन लेना चाहते हैं तो आप को यह कर्ज 36 महीने में वापस करना होगा और अगर आप जमीन गिरवी रख कर लोन लेना चाहते हैं तो आप को इसे चुकाने के लिए 48 महीने का समय मिलेगा. मतलब, बैंक के पास जमीन गिरवी रखने पर आप को अधिक छूट मिलेगी.
ट्रैक्टर खरीदने के बाद आप को एक महीने का समय ग्रेस पीरियड के रूप में भी मिलता है. इस का मतलब यह है कि एक महीने तक आप को लोन की किस्त चुकाने से छूट दी जा सकती है.
अब बात आती है कि आप को कौन सा ट्रैक्टर खरीदना है, यह आप को अपनी जरूरत के हिसाब से तय करना है. आजकल बाजार में अनेक ब्रांड के ट्रैक्टर मौजूद हैं. हरेक की अपनी खूबियां हैं.
यहां हम आयशर 551 ट्रैक्टर के बारे में कुछ जानकारी दे रहे हैं.
आयशर 551 ट्रैक्टर
यह ट्रैक्टर 49 हौर्सपावर का है और इस में 3300 सीसी का इंजन लगा है. 3 सिलैंडर, डायरैक्ट इंजैक्शन, वाटर कूल इंजन है. इस ट्रैक्टर से 10-12 टन की ट्रौली और भारी कृषि यंत्रों से आसानी से काम लिया जा सकता है. जैसे 2 एमबी रिवर्सिएबल प्लाऊ, पावर हैरो, 7 फुटा रोटावेटर, कल्टीवेटर, स्पे्रयर आदि इस से चला सकते हैं.
यह ट्रैक्टर 1,700 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है. विशेष परिस्थितियों में यह वजन 1850 किलोग्राम तक भी हो सकता है. इस में मल्टी डिस्क ब्रैक हैं जो औयल में डूबे रहते हैं. पडलिंग और धान की खेती में यह ट्रैक्टर तेजी और असरदार तरीके से काम करते हैं. इस का रखरखाव का खर्चा भी कम है और ब्रेक की उम्र भी लंबी होती है.
मल्टी स्पीड पीटीओ इंजन आरपीएम कम होने पर भी पीटीओ पर ज्यादा आरपीएम देता है. यह हर इंप्लीमैंट के लिए अनुकूल है. जहां अलगअलग पीटीओ स्पीड की जरूरत होती है जैसे थ्रैशर, वाटरपंप, आल्टरनैटर आदि.
इस ट्रैक्टर में वाटर सैपरेटर भी लगा है. अगर किसी वजह से डीजल में पानी मिला है तो उस को वह डीजल से अलग कर देता है और ट्रैक्टर की इंजन टंकी में 48 लिटर तक डीजल भरा जा सकता है. इस ट्रैक्टर में सभी डिजिटल मीटर लगे हुए हैं जिस से ट्रैक्टर किस स्पीड पर कितने आरपीएम पर चल रहा है, कितनी तेल खपत हुई है, यह सब पता चलता है.
इस ट्रैक्टर में पावर स्टेयरिंग भी है, जिसे आसानी से घुमाया जा सकता है. इस ट्रैक्टर में 8 गियर आगे लगते हैं और 2 रिवर्स गियर हैं. इस में 12 वोल्ट की बैटरी लगी है. साथ ही, इस में मोबाइल चार्ज करने की सुविधा भी है.
ड्राइवर के बैठने की सीट सुविधानुसार आगेपीछे की जा सकती है. सीट के पीछे पानी की बोतल रखने की जगह दी गई है. सुरक्षा के लिहाज से ट्रैक्टर के अगले हिस्से में वजनी मजबूत बंपर लगा है.
अधिक जानकारी के लिए आप आयशर कंपनी के फोन नंबर 022-40375754 पर बात कर सकते हैं.
लोन सस्ता मिलेगा या महंगा, कैसे होता है तय?
अगर आप किसी अन्य स्कीम के तहत या सामान्य तरीके से किसी भी बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो बैंक सभी ग्राहकों को एकसमान ब्याज पर लोन नहीं देते बल्कि कुछ ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलता है, वहीं कुछ को ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है. यह कई बातों से तय होता है. बैंक की नजर में लोन लेने वाला कितना भरोसेमंद है. लोन की ब्याज दर तय करने में उस के क्रेडिट स्कोर को ध्यान में रखा जाता है. किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर जितना ज्यादा होगा, उसे कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाती है यानी ऐसे लोग जो पहले भी लोन ले चुके हैं और तय समय पर उन्होंने लोन चुका दिया होता है तो ऐसे लोगों पर बैंक का भरोसा बढ़ जाता है और उसे दोबारा लोन लेने पर बैंक भी रियायत बरतता है.
इस के अलावा बैंक के पास लोन के बदले जब कोई चीज गिरवी रखी जाती है तो उस में कर्जदार की ओर से डिफौल्टर होने की आशंका कम हो जाती है. इस तरह के लोन को सुरक्षित लोन कहा जाता है. बैंकों को ऐसे लोन पर कम जोखिम होता है, इसलिए इस तरह के लोन में ब्याज की दर कम होती है. होम लोन इस का उदाहरण है क्योंकि होम लोन में मकान के कागजों पर तब तक बैंक का अधिकार होता है, जब तक कर्जदार का पूरा लोन चुकता न हो जाए. वहीं, पर्सनल लोन में कोई गारंटी न होने से ब्याज की दर ज्यादा रहती है.
एक ही बैंक से कई बार लोन लेने पर कर्जदार को फायदा होता है. यदि उस ने पिछले लोन का भुगतान समय से और बिना किसी बाधा के चुकाया है तो उसे आसानी से लोन मिल सकता है. बैंक इस तरह के ग्राहकों को वरीयता देते हैं.