- भानु प्रकाश राणा

हिसार : 21 सितंबर.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मशरूम उत्पादन तकनीक पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ.

इस प्रशिक्षण में हरियाणा के झज्जर, जींद, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी व सोनीपत जिलों से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया.

इस अवसर पर उपरोक्त संस्थान के सहनिदेशक (प्रशिक्षण) डा. अशोक कुमार गोदारा ने कहा कि मशरूम उत्पादन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम से कम लागत में शुरू किया जा सकता है और भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित, युवक व युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना कर स्वावलंबी बन सकते हैं. मशरूम उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों का इस्तेमाल किया जाता है, जिस से खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता के साथसाथ वायु प्रदूषण से भी नजात मिलेगी.

उन्होंने आगे बताया कि खासकर भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित युवक व युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं और पूरे साल मशरूम की विभिन्न प्रजातियों, जिन में सफेद बटन मशरूम, ओयस्टर या ढींगरी, मिल्की या दूधिया मशरूम, धान के पुवाल की मशरूम इत्यादि उगा कर पूरे साल मौसम के हिसाब से इस का उत्पादन किया जा सकता है.

प्रशिक्षण के संयोजक डा. सतीश कुमार मेहता ने बताया कि मशरूम की विभिन्न प्रजातियां उगा कर पूरे साल इस का उत्पादन किया जा सकता है. देश व प्रदेश सरकार द्वारा भी किसानों और बेरोजगार युवाओं को मशरूम उत्पादन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है.

इस प्रशिक्षण दौरान डा. संदीप भाकर, डा. जगदीप सिंह, डा. विकास कंबोज, डा. डीके शर्मा, डा. राकेश चुघ, डा. अमोघवर्षा, डा. सरदूल मान, डा. भूपेंद्र सिंह, डा. पवित्रा पुनिया व डा. विकाश हुड्डा ने मशरूम उत्पादन से संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिए.

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